मध्य प्रदेश

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर मंत्री ने लगाए आरोप, कांग्रेस में घमासान?

भोपाल
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने को लेकर पार्टी में गुटबाजी की अटकलों पर पूरी तरह विराम भी नहीं लगा था कि अब राज्य सरकार को लेकर पार्टी के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। मध्यप्रदेश के एक मंत्री का दावा है कि कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस बाबत पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा है।
सिंघार ने सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह पर पर्दे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा कई मंत्री दबे स्वर में सरकार में सिंह की दखलंदाजी पर सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीते दिनों मंत्रियों के नाम एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने मंत्रियों से मुलाकात का समय भी मांगा था।

दिग्विजय के पत्र से उठे सवाल
सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा था, 'मेरे द्वारा जनवरी 2019 से 15 अगस्त, 2019 तक स्थानांतरण सहित विविध विषयों से संबंधित आवेदन पत्र आवश्यक कार्यवाही हेतु आपकी ओर अग्रेषित किए गए थे। मेरे द्वारा आपको पृथक से पत्र लिखकर मेरे पत्रों पर की गई कार्यवाही से अवगत कराने और यदि किसी प्रकरण में कार्यवाही संभव नहीं है तो उसकी जानकारी देने का भी अनुरोध किया गया था। मेरे द्वारा आपको प्रेषित उक्त पत्रों पर की गई कार्यवाही के बारे में जानने के लिए मैं आपसे 31 अगस्त, 2019 के पहले भेंट करना चाहता हूं। कृपया 31 अगस्त, 2019 से पूर्व मुझे भेंट हेतु समय प्रदान करने का कष्ट करें।'

दिग्विजय सिंह के इस पत्र के बाद कई मंत्रियों ने किसी तरह की प्रतिक्रिया जाहिर करने से इंकार कर दिया, तो दूसरी ओर गोविंद सिंह राजपूत, सुखदेव पांसे, विजयलक्ष्मी साधो, बाला बच्चन, आरिफ अकील, सुखदेव पांसे सहित कई मंत्रियों ने सिंह को अपना सीनियर नेता बताते हुए कामकाज पर निगरानी रखने और समीक्षा का अधिकार होने की बात कही।

लेकिन वन मंत्री उमंग सिंघार ने खुले तौर पर सिंह पर सवाल उठा दिए हैं। सिंह द्वारा लिखे गए पत्र पर सिंघार ने पत्रकारों से कहा, 'यह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हैं, जो वास्तव में पर्दे के पीछे से राज्य सरकार चला रहे हैं। यह सबको पता है, जगजाहिर है। प्रदेश की जनता जानती है, कांग्रेस का कार्यकर्ता जानता है। उन्हें चिठ्ठी लिखने की आवश्यकता नहीं है, जब सरकार ही चला रहे हैं तो चिठ्ठी लिखने की आवश्यकता क्यों।'

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