नई दिल्ली
सरकार अब बड़ी संख्या में सरकारी कंपनियों यानी पीएसयू की कमान प्राइवेट सेक्टर को सौंपना चाहती है। वह उन्हीं पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से ज्यादा रखना चाहती है, जिसमें ऐसा करना जरूरी है। यही कारण है कि 28 अक्टूबर को कैबिनेट सेक्रटरी की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई है। इसमें तय होगा कि कितने पीएसयू की कमान प्राइवेट सेक्टर को सौंपी जाए। इस मीटिंग में आठ मंत्रालयों के सचिवों को बुलाया गया है। सूत्रों के अनुसार जिन मंत्रालयों के सचिवों को इस बैठक में बुलाया गया है, उसमें वित्त, कॉर्पोरेट, कानून, आॅइल, पेट्रोलियम, स्टील और रसायन मंत्रालय के सचिव शामिल हैं। मीटिंग में उन पीएसयू की लिस्ट बनाई जाएगी, जिनको प्राइवेट हाथों में सौंपा जा सकता है, यानी सौंपा जाना चाहिए। इसके बाद पीएमओ की अनुमति के बाद विनिवेश विभाग इनमें सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया आरंभ कर देगा। गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही आॅयल कंपनी बीपीसीएल में पूरी हिस्सेदारी बेचने और शिपिंग कॉर्पोरेशन में अपनी हिस्सेदारी को 51 फीसदी से कम करने का फैसला किया है। इसकी विनिवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
क्यों पीएसयू में हिस्सेदारी घटाना चाह रही सरकार
एक सीनियर अधिकारी के अनुसार सरकार चाहती है कि पीएसयू में उसकी कुछ हिस्सेदारी रहे, मगर मैनेजमेंट उसके हाथों में न रहे। ऐसा तभी संभव है कि जब उस पीएसयू में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम हो जाए। अधिकारी के अनुसार सरकार की एक रणनीति यह भी है कि जिस पीएसयू में उसकी हिस्सेदारी 51 फीसदी या उससे ज्यादा है तो उसको या तो 51 फीसदी से कम लाया जा जाए, या उस हिस्सेदारी को पूरा बेच दिया जाए।
एक नहीं, दो-तीन कंपनियों को बेची जाएंगी पीएसयू
इसके साथ सरकार की यह भी सोच है कि पीएसयू में उसकी हिस्सेदारी एक कंपनी को न बेचकर दो या तीन कंपनियों को बेचा जाए। इससे मैनेजमेंट की कमान दो या तीन कंपनियों के हाथों में रहेगी।