मध्य प्रदेश

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की उज्जैन में 32, हरदा में 59 और सागर के एक किसान को ही चौथी किस्त

भोपाल
जहां एक ओर देश भर में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की चौथी किस्त का लाभ किसानों को मिल गया है वहीं एमपी में सिर्फ 92 किसान ही इसका लाभ पा सके हैं। जनवरी में इस योजना के अंतर्गत किए गए चौथी किस्त के भुगतान में उज्जैन में 32, हरदा में 59 और सागर के एक किसान को चौथी किस्त मिल सकी है। इसकी वजह राज्य शासन द्वारा योजना के अंतर्गत पात्रता के लिए मांगी गई जानकारी के मुताबिक किसानों का डाटा अपलोड करने की कार्यवाही नहीं हो पाना है। योजना में अब तक 55.79 लाख किसानों के नाम और उनके बैंक खाते पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं जबकि पात्र किसानों की संख्या 85 लाख के करीब है।

योजना की पहली किस्त में 54.62 लाख किसानों को लाभ मिला था जबकि दूसरी किस्त में यह आंकड़ा 46.29 और तीसरी किस्त में 24.42 लाख तक सिमट गया। यह योजना एक दिसम्बर 2018 से लागू की गई है। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों की लापरवाही से एमपी के किसान केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली 6 हजार रुपए की वार्षिक सम्मान निधि से वंचित हैं। इस योजना के अंतर्गत चार माह के अंतर में दो-दो हजार रुपए की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा कराने का प्रावधान है।

कई राज्यों में जनवरी में इस योजना के अंतर्गत चौथी किस्त का भुगतान हो गया है लेकिन एमपी में सिर्फ 92 को ही लाभ मिला। अफसरों के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का पालन समय पर नहीं किए जाने के कारण ऐसे हालात बने हैं और अधिकारी यह बता पाने की स्थिति में नहीं हैं कि प्रदेश के सभी किसानों को योजना के अंतर्गत लाभ पाने के लिए पोर्टल पर उनकी जानकारी अपडेट कर दी जाएगी।

केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए चालू साल में 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था लेकिन अब 2020-21 के बजट में इसके लिए 60 हजार करोड़ रुपए की मांग ही की जा रही है। केंद्र सरकार ने राशि में कमी के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि लाभार्थी किसानों के चयन में तेजी न दिखाने और आधार वेरिफिकेशन नहीं होने के चते आवंटन में कमी की जा रही है। इस योजना में अब तक 44 हजार करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं। ऐसे में चालू साल के बजट के 25 हजार करोड़ खर्च नहीं हो पाने का अनुमान है।

सर्वाधिक भू-अभिलेख अपलोड के लिए पेंडिंग जिलों में भोपाल, पन्ना, नरसिंहपुर, बैतूल, आगरमालवा, राजगढ, हरदा, रीवा, दमोह, भिण्ड शामिल हैं। वहीं सर्वाधिक परिवार फायनल करने के लिए पेंडिंग जिलों में विदिशा, रतलाम, धार, बैतूल, सिवनी, अशोकनगर, मण्डला, भिण्ड, सतना, इंदौर के नाम हैं। सर्वाधिक एफआरए डाटा लंबित वाले जिलों में बड़वानी, धार, सिंगरौली, मण्डला, छिन्दवाडा, खरगौन, उमरिया, बालाघाट, खण्डवा, सीहोर और सर्वाधिक पीएफएमएस पेंडेंसी वाले जिलों में सागर, धार, बैतूल, पन्ना, जबलपुर, भिण्ड, विदिशा, खरगोन, देवास, रीवा का नाम है। इसके अलावा सबसे कम पात्र कुल परिवार वाले जिलों में मुरैना, रीवा, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी, बालाघाट, टीकमगढ, इंदौर, कटनी, जबलपुर हैं जहां 24 से 30 फीसदी को ही पात्र बताया गया है। साथ ही आधार पंजीयन के अनुसार अंग्रेजी नाम सुधार के लिए पेंडिंग जिलों में सागर, धार, बैतूल, दमोह, बालाघाट, पन्ना, सिवनी, रतलाम, कटनी, छतरपुर जिले शामिल हैं।

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