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पावर प्लांट्स के ‌52,000 करोड़ रुपये दिलाने के लिए ट्राइब्यूनल सख्त

नई दिल्ली
राज्यों की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों पर पावर प्लांट्स के लगभग 52,000 करोड़ रुपये के बकाये को लेकर अपीलेट ट्राइब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (Aptel) ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पावर सेक्टर की मुश्किलें दूर करने के लिए कोर्ट की सहायता के उद्देश्य से आठ 'एमिकस क्यूरे' (वकील) नियुक्त किए गए हैं।

Aptel की प्रमुख मंजुला गौड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सभी संबंधित पक्षों से अपनी समस्याओं और सुझावों को रखने के लिए कहा है जिससे राज्यों के इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटर्स को उपयुक्त आदेश दिए जा सकें।

पावर मिनिस्ट्री ने पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों से बकाया रकम में और बढ़ोतरी को रोकने के लिए बैंक गारंटी देने को कहा है। पावर सेक्टर की मुश्किलों का एक बड़ा कारण डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की ओर से बकाया रकम का भुगतान न होना है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की हाल की एक स्टडी में पता चला था कि राज्यों की ओर से सब्सिडी के भुगतान में देरी, समय पर टैरिफ में बढ़ोतरी न होने और सरकारी विभागों की ओर से बकाया रकम न चुकाने के कारण डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के रेवेन्यू में कमी आ रही है।

ट्राइब्यूनल ने अपने ऑर्डर में कहा, 'बेंच को पहले सहायता देने वाले एमिकस क्यूरे के अलावा हमने सीनियर ऐडवोकेट बासवा प्रभु पाटिल, संजय सेन, सज्जन पूवाया को पावर सेक्टर की समस्याओं के समाधान के लिए बेंच की सहायता करने को कहा है।' सीनियर ऐडवोकेट बड्डी ए रंगनाथन भी एमिकस क्यूरे के तौर पर बेंच की मदद करेंगे। ट्राइब्यूनल ने चार और वकीलों से एमिकस क्यूरे की भूमिका निभाने का निवेदन किया है।

रेगुलेटरी कमीशंस की ओर से टैरिफ में नियमित तौर पर बदलाव न करने से जुड़े 2011 के एक पुराने मामले को आगे बढ़ाते हुए ट्राइब्यूनल ने अपनी ओर से कार्रवाई शुरू की है। ट्राइब्यूनल ने पावर मिनिस्ट्री की ओर से मिले एक पत्र के आधार पर मामला शुरू किया था। पावर मिनिस्ट्री ने इस वर्ष जुलाई में भी पत्र लिखकर राज्यों में टैरिफ में बदलाव न होने पर आशंका जताई थी।

ट्राइब्यूनल तमिलनाडु में पावर जेनरेशन कंपनियों को भुगतान न मिलने और आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से रिन्यूएबल पावर से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स पर दोबारा मोलभाव करने से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि वकीलों से 14 सितंबर को अगली सुनवाई से पहले अपने पक्ष की जानकारी देने को कहा गया है। आंध्र प्रदेश में रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों की बढ़ती मुश्किलों पर कुछ देशों ने भी चिंता जताई थी। इन देशों की कुछ कंपनियां आंध्र प्रदेश में इन प्रोजेक्ट्स से जुड़ी हैं।

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