नई दिल्ली
हथियारों के इंपोर्ट पर निर्भरता घटाने और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी और घुसपैठ से निपटने के लिए सेना भारत में बने हथियार और निगरानी के उपकरण चाहती है। हाल ही में जानकारी सामने आई थी कि इस साल पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के सीजफायर के उल्लंघन में भारी इजाफा किया है। वहीं आर्टिकल 370 हटने के बाद ऐसी घटनाएं ज्यादा बढ़ गईं। इन सबसे निपटने के लिए सेना भारतीय हथियारों पर ही भरोसा जता रही है।
बिना उकसावे के 2,050 से अधिक सीजफायर उल्लंघन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने रविवार को बताया कि इस वर्ष पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के 2,050 से अधिक सीजफायर के उल्लंघन किए हैं, जिनमें देश के 21 लोगों की जान गई है। भारत ने सीजफायर उल्लंघन पर चिंता जाहिर की है। इनमें पाकिस्तानी बॉर्डर से आतंकवादियों की घुसपैठ और सीमा पर मौजूद पाकिस्तानी चौकियों से भारत के रिहायशी इलाकों पर गोलाबारी करना शामिल है। भारत ने पाकिस्तान से 2003 के सीजफायर समझौते का पालन करने और नियंत्रण रेखा (LoC) और इंटरनेशनल बॉर्डर पर शांति बरकरार रखने के लिए भी कई बार कहा है।
इस वर्ष सीजफायर के उल्लंघनों की संख्या पिछले दो वर्षों से अधिक रही है। जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद से पाकिस्तान की ओर से फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान की इस तरह की गतिविधियों को लेकर भारतीय सेना काफी संयम बरत रही है। हालांकि, सेना अब अपने दुश्मनों को लेकर पहले से कहीं अधिक तैयारी रखती है।
एक अधिकारी ने कहा, 'सेनाओं के वाइस चीफ को प्रोक्योरमेंट की शक्ति देना सरकार की ओर से सकारात्मक कदम है। हम महत्वपूर्ण गोला-बारूद और इक्विपमेंट हासिल करने में सक्षम हैं क्योंकि इनके प्रोक्योरमेंट की प्रायरिटी और शक्ति हमारे पास है। इससे स्नाइपर राइफल, निगरानी उपकरणों, स्पेशलाइज्ड एम्युनिशन और स्पेयर्स के लिहाज से हमारी तैयारी काफी मजबूत हुई है।'
पाकिस्तान की ओर से सीजफायर के उल्लंघनों का जवाब देने वाली भारतीय सेना की इनफेंट्री और राष्ट्रीय राइफल्स (RR) यूनिट्स का मॉडर्नाइजेशन किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इन यूनिट्स को सबसे पहले बेहतर हथियार, रात में निगरानी के उपकरण, हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट जैसे सुरक्षा के उपाय उपलब्ध कराए जाएंगे।
'देश में ही बनाए जाएं उपरकरण'
एक अधिकारी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ मुकाबले के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी इक्विपमेंट देश में ही बनाए जाएं। हम नाइट विजन डिवाइसेज, अनमैन्ड एरियल वीइकल (UAV) का स्वदेशीकरण चाहते हैं।' सेना अपने टैंकों के इंजन का भी देश में बनाने की संभावना तलाश रही है। डिफेंस मिनिस्ट्री ने दिसंबर 2017 में कई तरह के एम्युनिशन की भारतीय प्राइवेट कंपनियों की ओर से मैन्युफैक्चरिंग को अनुमति दी थी। इसका मकसद इंपोर्ट की जरूरत कम कम करना था।
सेना यह भी मानती है कि प्राइवेट सेक्टर की क्षमताओं में सुधार करने की जरूरत है। एक अधिकारी ने कहा, 'हम यह देख रहे हैं कि देश में कितनी टेक्नॉलजी मौजूद है। आर्टिलरी के लिए टेक्नॉलजी है और इसमें टेक्नॉलजी के ट्रांसफर से भी अच्छा फायदा होगा। हाला्ंकि, प्राइवेट सेक्टर की टेक्नॉलजी को अपनाने की क्षमता कम है। हाई-ऐंड इक्विपमेंट के लिए टेक्नॉलजी की अधिक जरूरत है और इसके लिए रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट पर जोर देना होगा। प्राइवेट सेक्टर को सरकार की ओर से भी कुछ मदद की जरूरत है।'