ग्वालियर
गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के बीच आज घर घर प्रथम पूज्य,विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जा रही है। खास बात ये है कि पर्यावरण को जल प्रदूषण से बचाने के लिए ईको फ्रेंडली अर्थात मिट्टी के गणेश की मूर्तियां की स्थापना के लिए जागरूकता अभियान चल रहे हैं । संस्थाओं ने इसके लिए वर्कशॉप लगाकर बच्चों को मिट्टी के गणेश बनाना सिखाया और बच्चों ने अपने घर पर अपने हाथ से निर्मित गणेश मूर्ति की स्थापना की।
देश प्रदेश की तरह ग्वालियर में भी आज से 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई। पहले दिन आज चतुर्थी के दिन सुबह से ही घरों में गणेश स्थापना की जाने लगी।विशेष बात ये है कि इस बार भी पिछले कुछ वर्षों की तरह ही पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने और विशेषकर विसर्जन के दिन नदियों , तालाबों आदि को जल प्रदूषण को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गए। बच्चों और बड़ों को मिट्टी के ईको फ्रेंडली गणेश बनाना सिखाया गए। शहर की साईं लीला सेवा संस्था ने बच्चों और बड़ों को मिट्टी की ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाना सिखाया ।
संस्था की संस्थापक नीतू सिंह के अनुसार पर्यावरण बचाने का संदेश देने का काम साईं लीला संस्था पिछले 8 सालों से कर रही है। संस्था से जुड़ी महिलाएं शहर के अलग-अलग स्थानों पर जाकर मिट्टी के गणेश बनाने के गुर लोगों को सीखा रहीं हैं और पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहीं हैं। पिछले दिनों संस्था ने मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनाने के लिए वर्कशॉप आयोजित किया और प्रशिक्षण। देने के बाद एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जिसमें विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गए।
प्रतियोगिता में भाग लेने आए प्रतिभागियों का कहना था कि बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां काफी मिल जाती हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगती हैं लेकिन ये पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। इनमें प्रयोग होने वाला कैमिकल रंग जल को प्रदूषित करता है। साथ ही पीओपी गलती भी नहीं है। जबकि मिट्टी के गणेश पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होते हैं ये पानी में गल जाती हैं साथ ही इनमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है जो जल को प्रदूषित नहीं करता।