अध्यात्म

परिवार के साथ बिताए पल स्वर्ग के सुख से भी ऊपर हैं

एकांत: अंतस की यात्रा: जो अब तक सोचकर भी न कर पाए उसे कर डालिये अब

भोपाल. मानव चरित्र मूलत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। पहला अंतर्मुखी और दूसरा बाह्यमुखी। दोनों की अपनी विशेषताएं हैं, लेकिन कोरोना जनित एकांतवासी वातावरण में समय बिताने की समस्या अंतर्मुखी के लिए उतनी नहीं जितनी कि बाह्यमुखी के लिए है। एकांत का अपना आनंद है, बशर्ते उसे जीने की कला को आचरण में उतारा जा सके। यह आपको अवसर प्रदान करता है। अंतस की यात्रा का, आत्मनिरीक्षण का, वर्षों से छूट गये कामों के समापन का और अपने शौक संवारने का।

लियो टाल्सटाय की एक कहानी है शर्त। एक मित्र दूसरे से पूर्ण एकांत में किसी से भी बगैर बात सफलता पूर्वक समय व्यतीत करने पर दस लाख इनाम देने की शर्त लगता है तथा सहमत हो जाने पर भोजन सामग्री तथा किताबों के साथ उसे एक मकान में बंद कर देता है। इस सुविधा के साथ कि शर्त का पालन न कर पाने की दशा में वह वहां उपलब्ध घंटी की सहायता से बाहर निकाले जाने की गुहार लगा सकता है।
दूसरे मित्र के कुछ दिन तो ठीक से बीत गए, किन्तु अगले पल उसे युगों से लगने लगे। उसका मन चिल्लाने का होता, लेकिन शर्त के लाभ के मद्देनजर वह चुप होकर बैठ जाता। उसके अकेलेपन की पीड़ा असहनीय थी पर शर्त ने रोक रखा था। धीरे-धीरे समय व्यतीत होने लगा। उसके अंतस में शांति ने प्रवेश कर लिया। वह मौन की मुद्रा में आ गया और तभी उसके दोस्त को व्यापार में घाटा हो गया।

वह विशाल राशि चुका पाने की असमर्थता को लेकर चिंतित हो उठा और तब उसे मार डालने के उद्देश्य से पहुंच गया, किन्तु आश्चर्यचकित हो गया, जब देखा कि उसका मित्र तो एक दिन पूर्व ही जा चुका था। एक पत्र लिखकर जिसमें लिखा था कि-दोस्त मैंने वह पाया, जो अन्यथा कदापि संभव नहीं था। असीम शांति का सुख अद्भुत होता है। जैसे-जैसे हमारी आवश्यकताएं कम होती चली जाती हैं, हमारे अंतस में एक आनंदरूपी ठहराव की प्राप्ति हो जाती है। इस अरसे में मेरे तार परमात्मा से जुड़ गये तथा अब मुझे तुम्हारे पैसों की कोई जरूरत नहीं।

दोस्तों इस दौर में टाल्सटाय का दर्शन हमारा मार्गदर्शक हो सकता है, बशर्ते हम इस भरपूर उपलब्ध समय को परख सकें। सकारात्मकता एवं सृजनात्मकता की ओर मोड़ सकें। वैसे भी कहा गया है कि जिस चीज को बदलना हमारे बस में नहीं उसे स्वीकार कर लेने में ही हमारा हित निहित है। सो करिये कुछ अनूठा। परिवार के साथ बिताए पल स्वर्ग के सुख से भी ऊपर हैं, जो अब तक सोचकर भी न कर पाए उसे कर डालिये अब: काल करे सो आज कर,आज करे सो अब।

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