नीमच
किस तरह दूरस्थ अंचल में बैठकर बड़े पैमाने पर सिंथेटिक दूध (Synthetic milk) का अंतरप्रांतीय कारोबार (Inter state business) चलाया जा रहा है, इसका खुलासा नीमच में फिर हुआ. ज़िला प्रशासन की टीम ने जिले के दूरस्थ अंचल रामपुरा की महावीर डेयरी (Mahaveer Dairy) पर छापा (raid) मारा. यहां बड़े पैमाने पर पाम ऑयल, डिटर्जेंट और केमिकल (Palm oil, detergent and chemical) से हज़ारों लीटर सिंथेटिक दूध बनाया जा रहा था. नकली दूध का ये रैकेट (racket) दूर कर फैला हुआ है. यहां तैयार सिंथेटिक दूध मध्य प्रदेश सहित राजस्थान के कई हिस्सों में सप्लाई किया जा रहा था.
एडीएम विनय धोका से मिली जानकारी के मुताबिक नीमच जिला मुख्यालय से करीब ७० किलोमीटर दूर ज़िले के आखिरी तहसील मुख्यालय पर लम्बे समय से सिंथेटिक दूध बनाये जाने की सूचना प्रशासन को मिल रही थी. मुखबिर की सूचना पर एसडीएम अरविन्द माहोर के साथ मुख्य खाद्य निरीक्षक संजीव मिश्रा, नापतौल विभाग के अफसर और पुलिस फ़ोर्स ने जब महावीर दूध डेयरी पर छापा मारा तो वहां बड़े पैमाने पर नकली दूध बनता मिला. यहां पाम ऑयल, डिटर्जेंट और केमिकल मिला. जिससे सिंथेटिक दूध बनाया जा रहा था.
मुख्य खाद्य निरीक्षक संजीव मिश्रा ने बताया कि इस डेयरी में सिर्फ 5 हज़ार लीटर दूध प्रतिदिन गाँव से इकट्टा किया जाता है. लेकिन डेयरी से प्रतिदिन 15 से 20 हज़ार लीटर दूध एमपी और राजस्थान के कई हिस्सों में सप्लाई किया जाता है. ऐसे में साफ़ है कि इतने बड़े दूध का उत्पादन सिंथेटिक तरीके से किया जा रहा था. प्रशासन को पता चला कि यहां से सिंथेटिक दूध राजस्थान के कोटा रीज़न में सप्लाई किया जाता है.
प्रशासन की इस कार्रवाई से साफ हो गया है कि दूध का ये काला धंधा काफी समय से चल रहा है. राज्य के दूरस्थ अंचल में प्रतिदिन हज़ारों लीटर दूध सिंथेटिक तरीके से बनाकर लाखों लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.
आरटीआई कार्यकर्ता और मिलावट के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले परमजीत फौजी ने बताया कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि इतने साल से किन अफ़सरों के संरक्षण में सिंथेटिक दूध बनाया जा रहा था. डेयरी के संचालक और कर्मचारियों पर भी एफआईआर होनी चाहिए.