वाराणसी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की जो कॉपी न मिल पाने के चलते निचली अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद के पक्षकारों और वकीलों को मुंह की खानी पड़ रही थी, उस आदेश की नकल सामने आ गई है. ये कॉपी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में 18 मार्च को पेश की जाएगी और मस्जिद की ओर से मामले की सुनवाई को तत्काल रोकने की मांग की जाएगी.
लगातार निचली अदालत में असफल होने और प्रार्थना पत्रों के रिजेक्ट होने के बाद वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर और उसी परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मस्जिद पक्ष को आस बंध गई है. ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में सिविल मिसलेनियस पिटीशन दायर की गई थी. इसपर 26 फरवरी को हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा था कि अब इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में नहीं हो सकती.
आदेश की कॉपी अपलोड न हो पाने के चलते और फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में आदेश की कॉपी मस्जिद पक्ष की ओर से पेश न होने के चलते निर्धारित तारीख 3 मार्च और फिर 6 मार्च को निरंतर सुनवाई होती गई. अब चूंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी प्रतिवादी मस्जिद पक्ष के पास आ चुकी है, इसलिए मस्जिद के वकील इसे 18 मार्च को फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश कर मामले की सुनवाई निचली अदालत में रोके जाने की मांग करेंगे.
इस मामले में मस्जिद के पक्षकार और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद यासीन ने बताया कि सेसिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत से यह मांग की गई थी कि इस मामले पर हाई कोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी है, इसलिए इसकी सुनवाई निचली अदालत में नहीं की जा सकती. इसे चार फरवरी को सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने रिजेक्ट कर दिया. 4 फरवरी के इस आदेश को 26 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टे कर दिया. लिहाजा अब यह मामला निचली अदालत में नहीं चल सकता. उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी 18 मार्च को सुनवाई की निर्धारित तारीख पर सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में पेश कर मामले की सुनवाई रोके जाने की मांग की जाएगी.