देश

नाव चुराकर भागे और 10 दिन में पहुंचे भारत, तट पर पहुंचते ही चूमी जमीन, एक साल तक रहे बंधक

 कोच्चि/मदुरै
यह उनके लिए बेहद भावुक करने वाला पल था। सभी ने भारतीय सरजमीं पर पैर रखे तो घुटनों के बल बैठ गए और धरती को चूमा। उनकी खुशी का ठिका नहीं था। यमन से किसी तरह जान बचाकर लौटे 9 भारतीय मछुआरों के लिए यह नई जिंदगी पाने जैसा अनुभव था। वे किसी तरह से बचकर आए थे। लौटने तक नाव में 500 लीटर ईंधन, आधी बोरी प्याज और ढेर सारा भाग्य मौजूद था।

केरल के रहने वाले दो और तमिलनाडु के 7 मछुआरे बीते एक साल से यमन में उत्पीड़न का शिकार हो रहे थे। किसी तरह उन्होंने अपने मालिक की बोट को चुराया और उसमें सवार होकर निकल पड़े। लगातार 10 दिनों तक 3,000 किलोमीटर लंबा समुद्री सफर तय करने के बाद वे किसी तरह भारत आ सके। कोच्चि के तट से 75 समुद्री किलोमीटर यानी 138 किलोमीटर की दूरी पर भारतीय कोस्ट गार्ड के जवान अल थिराया बोट में सवार हुए थे। यह बोट शुक्रवार को दोपहर 1:15 बजे कोच्चि के तट पर पहुंची। इस बोट के बारे में कोस्ट गार्ड के डॉर्नियर एयरक्राफ्ट को जानकारी मिली थी।

दरअसल यह कहानी 13 दिसंबर, 2018 को शुरू हुई थी, जब इन मछुआरों ने तिरुवनंतपुरम छोड़ा तो वह किसी और ऐसे किनारे की तलाश में थे, जहां ज्यादा मछलियां पकड़ सकें। हालांकि बीच में उन्हें एक यमन एंप्लॉयर ने झांसा देकर एक तरह से कैद कर लिया। वह उन्हें नाव में ही रखता था और काम करवाता था। इसके बदले में उन्हें खाने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं मिलता था।

पुलिस ने बताया कि इन मछुआरों ने कोस्टल पुलिस स्टेशन पर रात गुजारी है और उन्हें शनिवार को इमिग्रेशन की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा। एक कोस्टल पुलिस अधिकारी ने बताया, 'उन्होंने फोन पर अपने परिवारों से बात की और डिनर किया। हमें खबर मिली है कि उनके परिजन शनिवार तक तक कोच्चि पहुंच जाएंगे। यदि कोई और समस्या न हुई तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।'
 

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment