राजनांदगांव
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राजनांदगांव (Rajnandgaon) जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में अव्यवस्थाओं का आलम है. जिले के भावे प्राथमिक शाला के बच्चे मध्याह्न भोजन के बाद थाली और गिलास को स्कूल के पीछे गन्दे बदबूदार नाले व झरिया के पानी से धोते है, वही मध्यान्ह भोजन के बर्तनों को भी रसोईया उसी गन्दे नाले के पानी से धोते हैं. इतना ही नहीं यही पानी पीने को वे मजबूर भी हैं.
एक तरफ जहां शासन-प्रशासन स्वच्छता और स्वस्थ्य रहने की लिए समय-समय पर कई प्रकार के आयोजन और जागरुकता अभियान चलाता है,जो केवल शहरों तक ही सिमट कर रह जाता है. इस प्रकार के अभियानों की हवा भी दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाती है. यही कारण है कि राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर छुईखदान ब्लॉक के अंर्तगत आने वाले भावे स्कूल के बच्चे जानकारियों के आभाव में स्कूल के पीछे गन्दे और बदबूदार नाले के पानी का उपयोग बर्तन धोने और पीने के लिए करते हैं.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्कूल के शिक्षक रोज बच्चों को ऐसा करते देखते है, लेकिन उन्हें इन सब से कोई मतलब ही नहीं होता है. शिक्षक तो मानो इन वनांचल क्षेत्रों में पदस्थ होकर सजा काट रहे हों. बताया जा रहा है कि इस स्कूल में कुल 3 शिक्षकों की पदस्थापना है, लेकिन दो शिक्षक सप्ताह में केवल 1 या 2 दिन ही स्कूल में पहुंचते हैं. कोई अधिकारी सालों नहीं पहुंचे इन स्कूलों में तो शासन- प्रशासन की कोई भी योजनाएं और स्वच्छता, स्वस्थ्य अभियान कैसे पहुंचेगी.
शिक्षक रिखी पोरसे की माने तो स्कूल के समीप हैण्डपम्प में आयरन युक्त पानी आता है, खाना बनाने के लिए स्कूल से 1 किलोमीटर दूर से पानी लाया जाता है. कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन उसके बाद भी व्यवस्था सुधारने कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.