गुवाहाटी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल में मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं दिए जाने के प्रावधान का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
असम समेत पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में कई संगठनों ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) समेत दूसरे छात्र संगठनों ने क्षेत्र में 10 दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
'हिंदू-मुस्मिल एकता के खिलाफ है विधेयक'
त्रिपुरा में इसके विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ है। असम के गुवाहाटी में बंद के आह्वान की वजह से बाजार पूरी तरह से बंद हैं, जिसके कारण आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। असम के धुबरी से लोकसभा एमपी बदरुद्दीन अजमल का कहना है, 'नागरिकता संशोधन विधेयक हिंदू-मुस्लिम एकता के खिलाफ है। हम इस विधेयक को खारिज करते हैं, इस मुद्दे पर विपक्ष हमारे साथ है। हम इस विधेयक को पास नहीं होने देंगे।'
विधेयक के खिलाफ नग्न प्रदर्शन, सीएम निवास पर चिपकाए पोस्टर
असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विभिन्न प्रकार से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें नग्न होकर प्रदर्शन करना और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल है। मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर विधेयक विरोधी पोस्टर चिपकाए गए। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने अपने मुख्यालय से मशाल जलाकर जुलुस निकाला और गुवाहाटी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य विधेयक को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है।