हरदा
जो खुद पीड़ा से गुजरते हैं। उनका भाव यही रहता है कि किसी अन्य व्यक्ति को दुरूह पीड़ाओं का सामना न करना पड़े। प्रह्लाद पटेल जो स्वयं नशे के विरोधी हैं, अपनी धर्मपत्नी के ब्लड कैंसर से पीड़ित होने, इलाज के वक़्त दिल्ली मुम्बई जैसे महानगरों में प्रवास के दौरान कई तरह के कैंसर से पीड़ित मरीज व परिजनों की पीड़ा को उन्होंने नजदीक से जाना । उन्होंने तम्बाकू गुटखा आदि नशा करने वालों के मुंह जबड़े आदि के कैंसर वाले मामले देखे तो उन्होंने उसी वक़्त मन ही मन प्रण किया कि वापस गांव लौटने पर वे नशा मुक्ति को लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे।
प्रह्लाद पटेल अवसर मिलते ही उपस्थित जनसमूह को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। विगत दिनों मां नवदुर्गा के दरबार में उपस्थित धर्मसभा में अपने मन की बात कहते हुए प्रह्लाद पटेल ने नशामुक्ति और उसके दुष्प्रभाव को बताते हुए श्रद्धालुओं से इस बुराई को रोकने का आह्वान किया। धर्मसभा में बड़ी संख्या में मौजूद बुज़ुर्ग नवयुवक महिलाओं की मौजूदगी में प्रह्लाद पटेल की बेबाक अकाट्य बातों की न सिर्फ प्रशंसा हुई बल्कि उनके विचारों को सभी के द्वारा सराहा भी गया।
जिला मुख्यालय हरदा की तहसील टिमरनी के ग्राम रुंदलाय में देवी दरबार मे जागरूक नागरिक प्रह्लाद पटेल ने दिल्ली मुम्बई कैंसर हॉस्पिटल में अपने प्रवास के दौरान वहां मुंह जबड़े के कैंसर से ग्रस्त मरीजों और उनके परिजनों की व्यथा और बर्बादी की दास्तां सुनाके उपस्थित जनसमूह से नशे से जुड़ी हर वस्तु को जहर बताते हुए सभी से इस लत से दूर रहने और इस हेतु संकल्प लेने का आग्रह किया।
मोबाइल पर बात करते हुए प्रह्लाद पटेल ने बताया कि गांव में पान की दुकानों पर जानकारी जुटाने के दौरान मिली जानकारी से वे हतप्रभ थे। एक दुकान से दिनभर में 1000-1500 के गुटखे बिकने पर उन्होंने महीने भर में गांव में करीब एक लाख रुपये के गुटखे बिकने का अंदाज़ा लगाया। जो कि सालभर में 12 लाख रुपये के आसपास होता है। उन्होंने तभी सोचा कि इस जानकारी को वे धर्मसभा में बतलायेंगे। कोशिश करेंगे कि हर उम्र के लोग किसी भी प्रकार के नशे से बचकर लाखो रुपये सहेजकर अपने गांव को नशामुक्त गांव का तमगा दिला सकें । पटेल बताते हैं कि एक छोटे से पाउच से होने वाले नुकसान का अंदाज़ा उपभोगकर्ता को नहीं होता। उन्होंने बताया कि जब मेरी पत्नी को ब्लड कैंसर होने पर मैं कई समय मुम्बई दिल्ली रहा। उस दौरान विभिन्न कैंसर पीड़ित मरीजों की खराब हालत और परिजनों की मुश्किलों से सामना हुआ। उन्हें दुःख हुआ कि लोग नशा करके खुद मुसीबत को बुलावा देकर मौत को आमंत्रित करते हैं।
पत्नी को इलाज के लिए दिल्ली ले जाने के दौरान बोन मेरो ट्रांसप्लांट में उन्हें 20 लाख रुपये खर्च आया। ईश्वर की कृपा से सब कुछ ठीक हुआ। इस दौरान कहीं उनके मन मे यह बात चल रही थी कि गांव लौटने पर वे नशामुक्ति हेतु अलख जगायेंगे।
रुंदलाय ग्राम में विभिन्न वर्गों के करीब 1500 के आसपास घर हैं। पटेल ने कहा कि एक दुकान पर मैंने जानकारी ली तो सुबह होते ही मजदूर वर्ग के लोगों द्वारा बिना मुंह धोये गुटखा खाने की लत की जानकारी मिली। पटेल ने कहा कि आप रोज अपनी कमाई में से एक बड़ा हिस्सा गुटखे शराब पर क्यों खर्च करते हो? कभी हिसाब लगाके देखें अपने खर्च का । साल भर में कितना लुटा देते हैं आप गाढ़े पसीने की कमाई। उन्होंने बस्ती के सभी वर्ग के लोगों को अपनी पीड़ा से रूबरू कराते हुए , नशा करने वालो के परिजनों की तकलीफ का हवाला देते हुए आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्ट और नुकसान बताते हुए नशा न करने और छोड़ने की अपील की। इससे पहले दिनों में पटेल ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक से ग्रामजनों को दूर रहने व इनका इस्तेमाल न करने हेतु युक्तियुक्त सलाह भी दी थी।
प्रह्लाद पटेल ने अपने संबोधन के दौरान किसी भी प्रकार के नशाकर्ता द्वारा नशा रोकने पे उन्हें होने वाले एक रुपये से एक लाख तक के नुकसान की भरपाई स्वयम के खर्च पर करने का दावा धर्मसभा में किया। उनकी इस बात पर सभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी।
पटेल बताते हैं कि उनकी अपील का आंशिक असर भी यदि एक परिवार को बचाने में सार्थक होता है तो वे इसे अपनी उपलब्धि मानेंगे। वे तम्बाकू, सिगरेट, बीड़ी, शराब इत्यादि को लेकर गांव समाज मे अलख जगाते रहेंगे। उनकी मंशा साफ है- नशे का नाश हो। नशामुक्ति का लक्ष्य पाने तक वे जन जन को जागरूक करने में पीछे न हटेंगे। पटेल चाहते हैं कि हरहाल में नशे पर प्रतिबंध लगे जिससे न सिर्फ उनका गांव रुंदलाय साफ स्वच्छ गांव की श्रेणी में अग्रणी बनें बल्कि जिला हरदा नशामुक्त हो देश के मानचित्र पर उभरे।