भोपाल
प्रदेश में नर्मदा नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त रखने के लिये नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से अलीराजपुर के बीच नदी जल गुणवत्ता की मॉनीटरिंग अब 50 स्थान पर की जाकर निगरानी रखी जा रही है। यह व्यवस्था इस वर्ष से की गई है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी की जल गुणवत्ता मापने के लिये ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम की भी व्यवस्था की गई है। बोर्ड द्वारा भोपाल के राजा भोज तालाब में भी जल गुणवत्ता की जाँच का कार्य ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम से किया जा रहा है। नर्मदा नदी के कैचमेंट क्षेत्र के शहरों में परिवेशीय वायु गुणवत्ता को शुद्ध रखे जाने के लिये लगातार मापन किया जाकर एयर क्वालिटी इंडेक्स को बोर्ड की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जा रहा है।
नर्मदा नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए इसके कैचमेंट एरिया में स्थापित 11 मुख्य जल प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा सक्षम दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना की गई है। संयंत्रों के लगने से इन सभी उद्योगों में अब शून्य नि:स्त्राव की स्थिति है। होशंगाबाद में मेसर्स सिक्यूरिटी पेपर मिल, जिसका पहले 16 हजार किलो लीटर प्रतिदिन उपचारित जल नर्मदा नदी में निस्तारित होता था, की मात्रा अब घटकर करीब 2500 किलो लीटर प्रतिदिन रह गई है। इस उपचारित नि:स्त्राव जल का उपयोग वृक्षारोपण में किया जा रहा है। साथ ही नर्मदा नदी की सहायक नदी गौर और परियट के किनारे स्थापित डेयरी उद्योगों के खिलाफ भी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा न्यायालयीन कार्यवाही की गई है।
मूर्ति विसर्जन के लिये केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के पालन के लिये नगरीय निकायों के जरिये नर्मदा नदी के तटों पर अलग से मूर्ति विसर्जन कुण्डों की स्थापना की गई है।