रायपुर
कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी व पशुधन विकास मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की दिशा में नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने आज राजधानी रायपुर के न्यू-सर्किट हाऊस में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति पशु चिकित्सा अधिकारी संघ के वार्षिक अधिवेशन और छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए यह बात कही। मंत्री रविन्द्र चौबे ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि हम छत्तीसगढ़ का विकास चाहते है तो गांवों का विकास करना जरूरी है।
नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले स्तंभ है, इससे न केवल गांवों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि ग्रामीण युवाओं को स्थानीय स्तर पर स्व-रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व आर्गेनिक खेती की ओर अग्रसर है तथा उसके महत्व के प्रति जागरूकता बड़ी तेजी से जनमानस में फैल रही है। कुछ दिनों पूर्व रायपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में देश-विदेश से आए हुए प्रतिनिधियांे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादों जैसा स्वाद और कही नहीं है। ग्राम सुराजी योजना से आर्गेनिक खेती को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब धुंआ उगलती चिमनियों की जगह गौठान विकास का सशक्त प्रतीक बनेगें। उन्होंने अधिवेशन में उपस्थित पशु चिकित्सा अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में गंभीरता से कार्य करते हुए गौठान के निर्माण में रूचि रखे। उन्होंने धमतरी जिले के ग्राम कंडेल में ग्रामीणों द्वारा स्व-प्रेरणा से जन सहयोग के माध्यम से निर्मित गौठान का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य स्थानों पर भी जन सहयोग के माध्यम से गौठान निर्माण हेतु पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को प्रेरित करें। उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को गौठानों का नियमित रूप से निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
चौबे ने कहा कि गौठान हमारी समृद्ध ग्रामीण परम्परा का अंग है। शासकीय प्रयासों के माध्यम से उसको व्यवस्थित स्वरूप दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान सरकार सुनियोजित तरीके से इस कार्य को करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यह योजना आप सभी के सहयोग व सक्रिय भागीदारी से सफल होगी। पशुधन विकास मंत्री ने योजना की सफलता में जन भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ग्रामीण स्व-सहायता समूह को इस योजना से जोड़ा जाए। उन्होंने पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करने हेतु जन-जागरण अभियान चलाने की बात कही।
संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृृति में पशुधन का विशेष महत्व है तथा नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना का छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलते परिवेश में कृषि एवं पशुधन विकास के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को अपनाना भी जरूरी है। सांसद श्रीमती छाया वर्मा ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के माध्यम से सरकार गांव को ताकतवर बनाने, कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने व महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है।
कार्यशाला को भरतपुर सोनहत के विधायक गुलाब कमरो, मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल, सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी धु्रव ने भी सम्बोधित किया। कार्यशाला में पशु चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट एवं उल्लेखनीय कार्य करने वाले पशु चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति नारायण पुरषोत्तम दक्षिणकर व पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।