नई दिल्ली
भारतीय सेना की तरह अब इंडियन एयरफोर्स यानी आईएएफ भी हथियारों और लड़ाकू विमानों के स्वदेश में विकास का पुरजोर समर्थन कर रहा है। तभी तो आईएएफ ने पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी सुपर फाइटर एयरक्राफ्ट (एफजीएफए) के विकास के साथ-साथ पहले 123 मार्क-I जेट्स को अपने बेड़े में शामिल करने के बाद 200 तेजस मार्क-II कॉम्बेट एयरक्राफ्ट के लिए भी अपनी तत्परता दिखाई है। यानी अब आईएएफ के बेड़े में तेजस मार्क-II एयरक्राफ्ट्स भी शामिल किए जाएंगे।
एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार भदौरिया के मुताबिक, फिलहाल एफजीएफए यानी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट को आयात करने का कोई विचार नहीं है। अब अपने देश में ही कॉम्बेट एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा। स्वदेशी एमसीए यानी अडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। हम इसमें पूरे जी-जान से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इंडिया' अभियान के प्रति आईएएफ प्रतिबद्ध है।
भारत ने पिछले साल रूस के साथ औपचारिक रूप से प्रस्तावित सुखोई टी-50 या पीएके-एफए के संयुक्त विकास और निर्माण के लिए मल्टि-बिलियन डॉलर जॉइंट प्रॉजेक्ट को रद्द कर दिया गया था। इसके लिए दिसंबर 2010 में 295 मिलियन डॉलर का प्रिलिमिनरी डिजाइन कॉन्ट्रैक्ट साइन हो चुका था। इसके बावजूद आर्थिक और तकनीकी व्यवहार्यता के आधार पर इस डील को रद्द किया गया।
ट्विन इंजन MCMA पर फोकस, होगी ये ताकत
एक सोर्स के अनुसार, अब आईएएफ का पूरा ध्यान ट्विन इंजन एमसीएमए (MCMA) पर है, जिसमें चुपके से वार करने की गजब ताकत होगी। इसमें मल्टि-सेंसर इंटिग्रेशन और सुपरक्रूज संबंधी ताकत भी होगी। इसका निर्माण डीआरडीओ, एरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स मिलकर करेंगे। इसके लिए स्विंग रोल एएमसीए प्रोटोटाइप 2024-2025 तक रोल आउट होगा और पहली टेस्ट फ्लाइट उसके एक या दो साल बाद होगी।
फिलहाल तेजस पर लगा दाव
आने वाले वक्त में आईएएफ सिंगल इंजन तेजस पर फोकस करेगा ताकि वह अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या में कमी को दूर कर सके। फिलहाल इनकी संख्या 30 है, जबकि पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से निपटने के लिए इनकी संख्या 42 होनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि आईएएफ ने एचएएल के साथ वार्ता में प्रत्येक तेजस मार्क-आईए जेट की कीमत को घटाकर 309 करोड़ रुपये करने में कामयाबी हासिल की है। पहले एचएएल का कहना था कि बुनियादी ढांचे और रखरखाव के साथ पूरी डील 49,797 करोड़ रुपये की होगी। मार्क-II फाइटर्स में ताकतवर इंजन, उच्च श्रेणी के वैमानिकी और उन्नत ईंधन व हथियार ले जाने की क्षमता होगी। इनका वजन तेजस के मुकाबले ज्यादा यानी 17 टन होगा। फिलहाल आईएएफ के पास जो तेजस है उसका टन 12 टन है।
एसीएम भदौरिया ने कहा कि भारतीय वायुसेना जल्द ही परियोजना के लिए प्रिलिमिनरी अप्रूवल के लिए रक्षा मंत्रालय जाएगी, जिसके बाद आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) जारी किया जाएगा। इस दौड़ में सात दावेदार हैं। ये हैं राफेल (फ्रांस), एफ / ए -18 और एफ -21 (यूएस), ग्रिपेन-ई (स्वीडन), सुखोई -35 और मिग -35 (रूस) और यूरोफाइटर टाइफून।