मध्य प्रदेश

धरना-प्रदर्शनों के जरिए रद्द नहीं कराया जा सकता CAA: सुमित्रा महाजन

इंदौर 
संशोधित नागरिकता कानून (Amended Citizenship Act) के खिलाफ देश के अलग-अलग इलाकों में जारी आंदोलनों को अनुचित बताते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (Former Lok Sabha Speaker Sumitra Mahajan) ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे धरना-प्रदर्शनों से यह कानून निरस्त नहीं कराया जा सकता.

सीएए में कुछ गलत लगता है तो विरोधी जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट
महाजन ने यहां भाजपा की एक सभा में कहा, ‘सीएए के खिलाफ चल रहे धरने-प्रदर्शन सरासर गलत हैं. ऐसे धरना-प्रदर्शनों से इस कानून को निरस्त नहीं कराया जा सकता.’ वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘अगर तुम्हें (सीएए विरोधियों को) इस कानून में कुछ गलत लगता है तो तुम सुप्रीम कोर्ट जा सकते हो. शीर्ष अदालत का निर्णय सबके लिए मान्य होगा.

राजनेताओं का आम लोगों को भड़काना बिल्कुल गलत है
सुमित्रा महाजन ने कहा कि, ‘राजनेताओं द्वारा सीएए के खिलाफ आम लोगों को भड़काना बिल्कुल गलत है.’ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीएए उस सरकार ने बनाया है जिसे मतदाताओं ने दो तिहाई बहुमत दिया है. उन्होंने कहा, ‘संविधान के प्रावधानों के मुताबिक राज्य सरकारें ऐसा नहीं कह सकतीं कि वे केंद्र के बनाए किसी विशेष कानून को नहीं मानेंगी.’

कलेक्टर और महिला अधिकारियों के थप्पड़ मारने की भी आलोचना की
महाजन ने सीएए के समर्थन में राजगढ़ जिले में रैली निकाल रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को कलेक्टर निधि निवेदिता समेत दो महिला प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा थप्पड़ मारे जाने की हालिया घटना की आलोचना भी की. उन्होंने दोनों महिला अधिकारियों के व्यवहार को अनुचित बताते हुए कहा, ‘देश की महिलाएं सेना में भर्ती होकर दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन उन्हें हर जगह झांसी की रानी नहीं बनना चाहिए.

’सीएए पर कोई स्थगन आदेश नहीं, अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद
नागरिकता कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. नागरिकता कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि, नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए वह 5 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन कर सकता है. कोर्ट का यह भी कहना था कि वह केंद्र का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा. इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 4 सप्ताह बाद होगी.

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