देश

देश भर के मूर्तिकार परेशान, जीवन यापन करना भी हो रहा मुश्किल


कोरोनाकाल में गणेश चतुर्थी: घर में कैसे पधारेंगे बप्पा
नई दिल्ली. कहीं एकदंत गणपति, कहीं नृत्य करते गणपति, कहीं मां पार्वती की गोद में विराजित तो कहीं पिता महादेव की अर्चना करते गणपति, किसी-किसी जगह पर लोकनायक विनायक महाराज की तरह सिंहासन पर आसीन हैं और वरद मुद्रा से कृपा बरसा रहे हैं। जैसी-जैसी कलाकार की कल्पना, गणपति वैसा ही सहज आकार ले लेते हैं और देखने वाली की दृष्टि भी उन्हें कई रूपों में देखती है।

बप्पा के अनेक रूप
कोई देखता है, उन्हें संत हितकारी की तरह तो कोई देखता है, अंधों को आंख और कोढ़ी को काया देने वाले नाथ की तरह, तो कहीं कोई माया भी मांग लेता है। मूर्तिकार मिट्टी को श्रद्धा में भिगोता जाता है और भगवान को बनाता जाता है। सदियों से यह परंपरा यूं ही चली आ रही थी, इस बार भी जारी रहती, अगर विश्व भर में कोरोना नहीं होता तो।

नहीं नजर आ रही मूर्ति निर्माण की कतारें
आलम यह है कि गणेश चतुर्थी की शुभ तिथि आ रही है, लेकिन मूर्तिकारों के दर पर श्रद्धावानों की दस्तक नहीं सुनाई दे रही है। लिहाजा चौराहों पर, घरों के बाहर, सड़क किनारे तरह-तरह के रंगों से तैयार होने वाली गणपति प्रतिमाओं की लंबी कतारें इस बार कम ही नजर आ रही हैं। मूर्तिकारों का एक दुख, कोरोना के कारण इस बार मूर्ति के ऑर्डर ही नहीं मिले।

परेशान हैं मूर्तिकार
कोरोना ने हर सेक्टर में नुकसान पहुंचाया है। मूर्तिकला का व्यवसाय इससे अछूता नहीं है। महाराष्ट्र जो कि गणपति पूजा के लिए प्रसिद्ध है, वहां भी मूर्तिकार इस बात से परेशान हैं कि उनका जीवन-यापन कैसे होगा, जो कि गणपति के मौके पर मूर्ति निर्माण करके चलता था। वहीं वे व्यवसायी भी परेशान हैं, जिन्होंने एडवांस में छोटी-छोटी मूर्तियां खरीद ली थीं, लेकिन अब उन्हें मार्केट में नहीं निकाल पा रहे हैं।

नहीं मिले बड़ी प्रतिमाओं के ऑर्डर
देश के अन्य दूसरे कोनों में भी कमोबेश यही हाल है। हरियाणा के अंबाला में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार ने बताया कि इस बार गणपति के लिए गणेश प्रतिमाओं की मांग बहुत ही सीमित है। प्रतिबंधों के चलते कई समितियां इस बार गणपति नहीं बैठाएंगी, तो वहीं छोटी-छोटी बेहद कम ही प्रतिमाओं की बुकिंग हुई है। बड़़ी प्रतिमा जो कि अधिक लाभ देती है, उनका कोई भी ऑर्डर नहीं आया है।

पिछले साल बिकी थीं 4000 प्रतिमाएं
बेंगलूरु में भी ऐसे ही हालात हैं। यहां के मूर्तिकार भी कोरोना के कारण कठिनाई महसूस कर रहे हैं। एक मूर्ति विक्रेता ने बताया कि पिछले साल उन्होंने गणपति के कई दिन पहले ही 4000 प्रतिमाएं बेच ली थीं, लेकिन इस बार महामारी के बुरे दौर के चलते हमारा पूरा व्यापार ही चौपट हो गया है। हमें इस बार केवल अभी तक 50 से 100 ऑर्डर ही मिले हैं।

>

About the author

admin administrator

Leave a Comment