भोपाल
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आयोजित राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव के समापन समारोह में कहा कि यह महोत्सव वास्तव में देश की सांस्कृतिक विरासत का अनूठा संगम है। इस विरासत के संवाहक हैं आज के बच्चे। महोत्सव इन बच्चों के लिये अपने-अपने क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक विशेषताओं तथा वेश-भूषा, कला, नृत्य, खान-पान आदि की विविधताओं को साझा करने का मंच है।
मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये पढ़ाई के साथ अन्य रचनात्मक गतिविधियों में सहभागिता भी बहुत जरूरी है। इससे बच्चे अनुशासन, आत्म-निर्भरता, प्रबंधन आदि सीखते हैं। डॉ. चौधरी ने समर्थ एवं लघु भारत प्रदर्शनी का अवलोकन किया और बच्चों द्वारा लगाई गई स्टीम शिक्षा पद्धति एवं उमंग मॉड्यूल की सराहना की। उन्होंने फूड जोन के विभिन्न स्टॉल्स में बच्चों द्वारा बनाए गए लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद लिया और प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया।
महोत्सव में सांस्कृतिक नृत्य में सिक्किम प्रथम, हरियाणा द्वितीय और हिमाचल प्रदेश तृतीय स्थान पर रहा। मध्यप्रदेश को प्रथम और छत्तीसगढ़ को द्वितीय सांत्वना पुरस्कार मिला। समर्थ एवं लघु भारत प्रदर्शनी, फूड जोन, क्रॉफ्ट आदि के पुरस्कार भी वितरित किये गए। बाल पत्रकारों ने सभी अतिथियों का इंटरव्यू लिया और उन्हे बाल-पत्र भेंट किया। बाल कलाकारों की प्रथम 5 सांस्कृतिक नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों को आत्म-विभोर किया।