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देशभर में अधूरे पड़े मकानों को पूरा करने के लिए 90,000 करोड़ रुपए की जरूरत

 
नई दिल्ली

 देशभर में विभिन्न प्रकार के दबाव में फंसे कुल 7.4 लाख आवासीय इकाइयों (मकान) को पूरा करने के लिए करीब 90,000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। रियल एस्टेट से जुड़े ऑनलाइन मंच प्रॉपइक्विटी ने सोमवार को यह बात कही। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को घोषणा की है कि किफायती और मध्यम आय श्रेणी में निर्माण के आखिरी चरण में पहुंच चुकी बिना विवाद वाली आवासीय परियोजनाओं को पूरा कराने में वित्तीय मदद के लिए कोष बनाया जाएगा।

योजना का लाभ उन्हीं परियोजनाओं को मिलेगा जो एनपीए घोषित नहीं हैं और न ही उनको ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी के सुपुर्द किया गया है। इसमें करीब 10 हजार करोड़ रुपए सरकार मुहैया कराएगी तथा इतनी ही राशि अन्य स्रोतों से जुटायी जाएगी। कुल मिलाकर 20,000 करोड़ रुपए का कोष उपलब्ध कराया जायेगा।

प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक समीर जसुजा ने कहा, "सरकार का यह कदम निश्चित तौर पर सकारात्मक है और कंपनी को उम्मीद है कि सरकार मुश्किल में फंसे उद्योग की मदद करने के लिए भविष्य में और कदम उठाएगी।" उन्होंने कहा कि मौजूदा आवंटित पूंजी का यदि पूरी तरह से इस्तेमाल होता है तो करीब 1.6 लाख इकाइयों को पूरा करने में मदद मिलेगी। प्रॉपइक्विटी ने कहा कि विभिन्न चरणों में अटकी पड़ी कुल 7.4 लाख इकाइयों को पूरा करने के लिए 90,000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। 

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