विकट से विकट परिस्थिति में भी हमें अपनी सोच सकारात्मक बनाए रखनी चाहिए
किसी गांव में दो साधू रहते थे। वे दिनभर इधर-उधर मांगकर और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गांव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी। दोनों साधू गांव की सीमा से लगी एक झोपड़ी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफान के कारण उनकी आधी झोपड़ी टूट गई है।
भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है
यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है, भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है। मैं दिन भर तेरा नाम लेता हूं, मंदिर में तेरी पूजा करता हूं फिर भी तूने मेरी झोपड़ी तोड़ दी। गांव में चोर-लुटेरे झूठे लोगों के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ। बेचारे हम साधुओं की झोपड़ी ही तूने तोड़ दी, ये तेरा ही काम है। हम तेरा नाम जपते हैं, पर तू हमसे प्रेम नहीं कर्ता, तभी दूसरा साधू आता है और झोपड़ी को देखकर खुश हो जाता है।
नाचने लगता है और कहता है भगवान आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है, ये हमारी आधी झोपड़ी तूने ही बचाई होगी, वर्ना इतनी तेज आंधी-तूफ़ान में तो पूरी झोपड़ी ही उड़ जाती। ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है। निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है, कल से मैं तेरी और पूजा करूंगा। मेरा तुझ पर विश्वास अब और भी बढ़ गया है, तेरी जय हो।
अपनी सोच सकारात्मक बनाए रखनी चाहिए
मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा, हमारी सोच, हमारा भविष्य तय करती है। हमारी दुनिया तभी बदलेगी, जब हमारी सोच बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी, तो हमें हर चीज में कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी, तो हमें हर चीज में अच्छाई दिखेगी। अत: हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाए रखनी चाहिए।