जीवन की भागदौड़ के बीच त्योहार हमें फुर्सत के ऐसे पल देते हैं, जिनमें हम परिवार, दोस्तों के साथ बैठकर अपनी खुशियां बांटते हैं। ऐसे में त्योहार का सीधा-सा अर्थ है खुशियां। खुशियों का अर्थ है कि हमें खुश रहने के साथ कोशिश करनी है कि आसपास के लोग भी खुश रहें लेकिन अगर आप किसी को खुशी नहीं दे सकते, तो कोशिश करनी चाहिए कि आप किसी के दुख की वजह न बनें। हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स दे रहे हैं, जिनका ध्यान रखकर आप इस त्योहार के वास्तविक अर्थ को बनाए रख सकते हैं-
ज्यादा शोर या धुएं वाले पटाखों से परहेज करें
याद रखें, दिवाली रोशनी का त्योहार है, पटाखों का नहीं, इसलिए कोशिश करें कि पटाखों के शोर या धुएं का असर किसी की जिंदगी पर भारी न पड़ जाए। बुर्जुग, गर्भवती महिलाएं, बीमार व्यक्ति, जानवरों के लिए दिवाली की रात बहुत मुश्किल होती है।
जानवरों के साथ न करें कोई हिंसा
अक्सर खबरें आती हैं कि गली में रहने वाले कुत्तों की पूछं में बांध दिया गया या किसी और तरह से उस पर हिंसा की गई। मासूम जानवरों पर अत्याचार करना अमानवीय ही नहीं बल्कि कानूनन अपराध भी है। बेजुबानों के दर्द को समझते हुए उनकी मदद के लिए आगे आएं न कि उनके दर्द की वजह बनें। दिवाली पर जानवर पहले से ही शोर और धुएं से बहुत डरे हुए रहते हैं इसलिए कोशिश करें कि उनका डर कम हो।
अनाथ बच्चों और जरुरतमंद लोगों की मदद
हम दिवाली का त्योहार बनाने में सक्षम है और हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है, इस बात के लिए ईश्वर का धन्यवाद कीजिए। साथ ही सम्भव हो, तो अनाथ या जरुरतमंद बच्चों को मिठाई, नए कपड़े गिफ्ट करके उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं।
अपने दोस्तों और परिवार वालों को कहें धन्यवाद
भागती-दौड़ती जिंदगी में अक्सर हम अपने दोस्तों और परिवार के प्रति आभार व्यक्त नहीं कर पाते। ऐसे में यह सही मौका है, जब हम अपने माता-पिता या करीबी लोगों को कोई गिफ्ट देखकर अपने जीवन में उनका महत्व बता सकते हैं।
ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं या गिफ्ट करें
प्रदूषण का हाल किसी से छुपा हुआ नहीं है, ऐसे में बहुत जरुरी है कि अपनी तरफ से इसके प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाए। हम पौधों से घर सजा सकते हैं। साथ ही किसी गैरजरूरी शो पीस की जगह पौधे भी गिफ्ट कर सकते हैं।