नई दिल्ली
वायु प्रदूषण के गंभीर मसले पर संसदीय समिति की बैठक में नहीं पहुंचने पर पूर्वी दिल्ली सांसद गौतम गंभीर को भले ही कड़ी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा हो, लेकिन मीटिंग में गैर-हाजिर रहे कई और सांसदों ने भी अपनी सफाई में अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पूर्वनिर्धारित कार्यक्रमों का हवाला दिया। उनका कहना है कि संसद का शीत सत्र शुरू होने के पहले अपने संसदीय क्षेत्र के काम निपटाने थे। गौरतलब है कि गौतम गंभीर ने अपनी आलोचना होते देख पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हवाला दिया।
एक सांसद ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि संसद शत्र के आरंभ होने से ठीक तीन दिन पहले मीटिंग बुलाने का क्या औचित्य है? लोगों को एक दिन के लिए दिल्ली आने, फिर अपने संसदीय क्षेत्र वापस जाने है और फिर से सोमवार को दिल्ली आने में असुविधा होगी। अगर यह मीटिंग सोमवार या मंगलवार को बुलाई गई होती तो ज्यादा सदस्य शामिल होते।'
बीजेपी सांसद एसपी सिंह बघेल ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को जिला विकास समन्वय और अनुश्रवण समिति (दिशा) की मीटिंग में हिस्सा लेना था। उन्होंने कहा, 'इस मीटिंग की तारीख 15 दिन पहले तय हो गई थी और कमिटी के चेयरमैन के तौर पर मुझे वहां मौजूद रहना था। मुझे दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीरता का अंदाजा है।'
पूर्वी राज्य के एक अन्य सांसद ने इस बात पर आश्चर्य का इजहार किया कि वायु प्रदूषण का मुद्दा शहरी मामलों की समिति उठा रही है जबकि यह विषय वन एवं पर्यावरण मामले की समिति का है। सांसद ने कहा, 'शहरी विकास मंत्री का इस विषय से शायद ही कुछ लेना-देना हो। हमें इसे संबद्ध समिति के लिए छोड़ देना चाहिए। हम संसद सत्र के दौरान दिल्ली में ही रहेंगे और प्रदूषण हम सभी को प्रभावित करता है। ऐसा कोई नहीं जो राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण से चिंतित नहीं हो।'
बीजेपी एमपी सीआर पाटिल ने कहा कि समिति की पिछली मीटिंग में चर्चा का विषय तय हुआ था। दरअसल, ऑफिशल रेकॉर्ड्स बताते हैं कि समिति ने चर्चा के जो-जो विषय निर्धारित किए थे और उनमें 'दिल्ली में वायु प्रदूषण घटाने में वहां की नगरपालिकाओं, डीडीए, एनडीएमसी, सीपीडब्ल्यूडी और एनबीसीसी की भूमिका' का विषय भी शामिल है। ज्यादातर सांसदों ने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया।