राजनीति

दिल्ली चुनाव में हार का कारण बता संघ ने BJP को चेताया: मोदी-शाह हमेशा जीत नहीं दिला सकते

 नई दिल्ली 
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाने और करारी हार झेलने वाली भारतीय जनता पार्टी लगातार कारणों की समीक्षा में जुटी हुई है। दिल्ली चुनाव में मिली हार पर अब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने भारतीय जनता पार्टी को चेताया है और कहा है कि हमेशा मोदी-शाह ही जीत नहीं दिला सकते, इसलिए संगठन का पुनर्गठन करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस के अंग्रेजी मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' ने दीन दयाल उपाध्याय को कोट करते हुए दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार की समीक्षा छापी है और बीजेपी, पार्टी की दिल्ली इकाई और चुनाव में उतारे गए उम्मीदवारों के बारे में विस्तार से अवलोकन छापा है।

लेख में जोर देकर यह कहा है गया है कि एक संगठन के तौर पर बीजेपी को यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी हमेशा मदद नहीं कर सकते। लेख में कहा गया है, 'नरेंद्र मोदी और अमित शाह विधानसभा स्तर के चुनावों में हमेशा मदद नहीं कर सकते हैं और स्थानीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली में संगठन के पुनर्निर्माण के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'

दिल्ली चुनाव को लेकर मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में कहा गया है, 'साल 2015 के बाद बीजेपी की जमीनी स्तर पर खुद की ढांचागत व्यवस्था को पुनर्जीवित करने और चुनाव के आखिरी चरण में प्रचार-प्रसार को चरम पर ले जाने में दिखाई पड़ रही नाकामी अच्छी तरह लड़े गए चुनाव में मिली विफलता बड़े कारण रहे।' 

'दिल्ली डायवर्जेंट मेंजेट' शीर्षक से लिखे इस आर्टिकल में दिल्ली में सिटी स्टेट के वोटिंग बिहेवियर को समझने पर जोर दिया गया है। लेख में यह कहा गया है कि उत्तर दिल्ली के बदलते चरित्र में है। इस आर्टिकल को इसके संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा है। 

आर्टिकल में कहा गया है कि शाहीनबाग नैरेटिव बीजेपी के लिए सफल नहीं रहा क्योंकि अरविंद केजरीवाल इस पर एकदम स्पष्ट थे। हालांकि, अरविंद केजरीवाल के भगवा अवतार पर कटाक्ष करते हुए ऑथर ने बीजेपी से उन पर पैनी नजर रखने को कहा है। लेख में यह पूछा गया, 'सीएए के बहाने मुस्लिम कट्टरपंथ के इस जिन्न का जो प्रयोग किया गया, केजरीवाल के लिए परीक्षण का नया मैदान बन सकता है। केजरीवाल इस खतरे का जवाब कैसे देते हैं? हनुमान चालीसा का उनका जप कितनी दूर था?'

इससे पहले ऐसी खबर आई थी कि संघ और वीएचपी दोनों ने ही हिंदू-केंद्रित राजनीति की जिसके चलते अरविंद केजरीवाल को बदलते ट्रेंड को अपनाना पड़ा। मगर इस आर्टिकल के लेखक केतकर का मानना है कि यह आम आदमी पार्टी का असली पक्ष नहीं है। 

लेख में दिल्ली इकाई को साफ संदेश दिया गया है, 'आप विफल रहे। 2015 के बाद जमीनी स्तर पर संगठनात्मक ढांचे को पुनर्जीवित करने में बीजेपी की स्पष्ट विफलता को चुनाव की हार के प्रमुख कारणों में से एक माना गया। जिसकी वजह से दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने महज 8 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आमदी पार्टी 62 सीटें जीतने में कामयाब रही।'

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