नई दिल्ली
सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली के भीड़ भरे प्रदूषित चौराहों पर एयर प्यूरीफायर लगाने की पायलट परियोजना असफल हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस योजना पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद इस साल प्रदूषण बढ़ने से पहले ही इन्हें बंद कर दिया।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा ने कहा कि पिछले साल दिल्ली के पांच व्यस्ततम चौराहों पर परीक्षण के तौर पर एयर फ्यूरीफायर लगाए गए थे। लेकिन नतीजे अच्छे नहीं निकले। इसलिए इसे जारी नहीं रखा जा रहा।
यहां लगे थे प्यूरीफायर :
सीपीसीबी ने करीब 70 एयर प्यूरीफायर आनंद विहार, आईटीओ, वजीरपुर डिपो, भीकाजी कामा प्लेस तथा शादीपुर डिपो पर लगाए थे। इन्हें लगाने की जिम्मेदारी नीरी को दी गई थी।
दिल्ली के भीड़ भरे जिन चौराहों पर एयर प्यूरीफायर लगाए गए थे वहां प्रदूषण के स्तर में कोई खास सुधार नहीं देखा गया। एक अधिकारी ने कहा कि इन चौराहों में एक्यूआई आमतौर पर 400 से ऊपर रहता है। एयर प्यूरीफायर इसमें 15-20 फीसदी से ज्यादा कमी नहीं ला पाए।
इन एयर प्यूरीफायर को लगाने *और इनकी मॉनीटरिंग का जिम्मा सीएसआईआर की नागपुर स्थित प्रयोगशाला नीरी को दिया गया था।
नीरी में इस परियोजना को देख रहे सुनील गुलिया ने कहा कि परियोजना को सर्दियां शुरू होने से पूर्व ही सीपीसीबी ने बंद कर दिया था। इस परियोजना के प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट सीपीसीबी को सौंपी दी है तथा आगे चलाने या नहीं चलाने का निर्णय उसी को करना है।
गुलिया ने हालांकि रिपोर्ट का ब्योरा साझा करने से इनकार कर दिया। लेकिन सूत्रों का कहना है कि जिन स्थानों पर एयर प्यूरीफायर लगाए गए थे, वहां एयर क्वालिटी इंडेक्स में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।
पूरी दिल्ली में लगना था:
मूल योजना के तहत यदि यह परियोजना सफल रहता तो ऐसे एयर प्यूरीफायर दिल्ली के अन्य चौराहों एवं कालोनियों में भी स्थापित करने की योजना थी। एयर प्यूरीफायर पीएम 2.5 तथा पीएम-10 को सोखते हैं।