नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections 2020) के दंगल में इस बार कई दिग्गज नहीं होंगे। असमय मौत और दूसरे कारणों के चलते दिल्ली की सियासत में दखल रखने वालों के बगैर विधानसभा चुनाव होगा। बीते 14 माह में राजधानी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खोए हैं। साथ ही उम्र और दूसरे कारणों से भी कई बड़े नेता चुनावी समर में नहीं दिखाई देंगे।
विधानसभा चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है। 22 फरवरी से पहले नई सरकार का गठन होना है। आप, भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। बीते चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेता इस चुनाव में नहीं होंगे। 2020 के चुनावों में दोनों पार्टियों का जिम्मा नए कंधों पर होगा।
बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के चुनाव : दिल्ली ने अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री बीते 14 महीने में खोए हैं। इस बार बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के ही दिल्ली का चुनावी रण होगा। कांग्रेस से शीला दीक्षित तीन बार मुख्यमंत्री रही हैं। 1998 से 2015 तक पांच विधानसभा चुनाव शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े गए। उधर, दिल्ली में भाजपा की पहचान रहे पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का निधन 27 अक्टूबर 2018 को हो गया। भाजपा को दूसरा झटका सुषमा स्वराज के रूप में लगा। पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का निधन छह अगस्त 2019 को हो गया। सुषमा सीधे तौर पर दिल्ली की सियासत में दखल नहीं देती थीं, लेकिन कई बार समीकरण साधने के लिए उनकी मदद ली जाती थी।
संवैधानिक पद के कारण बेदी और मुखी भी रहेंगे दूर
बीते विधानसभा चुनाव में किरण बेदी को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था। इस समय किरण बेदी पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल हैं। संवैधानिक पद के चलते किरण बेदी का इन चुनावों में योगदान नहीं रहेगा। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे जगदीश मुखी भी विधानसभा चुनावों में सक्रिय नहीं रहेंगे। मुखी असम के राज्यपाल हैं। अपनी उम्र के चलते दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे प्रो. विजय मल्होत्रा भी अब सक्रिय नहीं हैं।