नई दिल्ली
फाइनल से पहले कोच कुलदीप हांडू रोहतक के प्रवीण कुमार से यही कह रहे थे कि उनके पास वह करने का मौका है जो आज तक वूशु में किसी भारतीय ने नहीं किया है। प्रवीण ने शंघाई से 'अमर उजाला' से खुलासा किया कि फाइनल के दौरान उनके दिमाग में कोच के ये शब्द लगातार घूमते रहे। सोच रहा था कि विश्व चैंपियन बन गया तो बिजली बोर्ड में दर्जा चार मुलाजिम पिता का नाम रोशन कर दूंगा। चैंपियन बनने के बाद उन्हें खुद विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया है। खुशी इस बात की है कि अब पिता ने भी कह दिया है कि वह इस खेल को जारी रखते हुए और अच्छा करें।
प्रवीण के मुताबिक 2013 में एमडी यूनिवर्सिटी में उन्होंने एक चैंपियनशिप में यह खेल देखा था। तब से वह इसी से जुड़ गए। पिता पियोन थे तो घर के हालात काफी खराब थे। उन्होंने मना किया कि यह किस खेल में पड़ गया। खेलना है तो कुश्ती कर ले, लेकिन यह खेल छोड़ दे। वह वूशु को नहीं छोडना चाहते थे। 2017 में उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में रजत जीता तो सेना में ले लिया गया। अब विश्व चैंपियन बन गया हूं। सोचता हूं पिता ने जितना संघर्ष किया है अब उन्हें अच्छा घर बनाकर दूंगा।
प्रवीण खुलासा करते हैं कि पिता के पास कैमरे वाला मोबाइल नहीं है। उन्हें छोटे भाई ने बताया कि वह विश्व चैंपियन बन गए हैं। इसके बाद पिता से बात हुई तो उन्होंने कहा कि वह इस खेल में और अच्छा करें।
प्रवीण के मुताबिक घर के हालात काफी खराब होने के चलते वह कई बार टूर्नामेंट खेलने नहीं जा पाते थे। पैसे नहीं होते थे। तब उनके मामा ने उनकी काफी मदद की। वह उनसे पैसे लेकर टूर्नामेंट खेलने जाते थे। प्रवीण सफलता का श्रेय कुलदीप हांडू को देते हैं। जम्मू कश्मीर के हांडू की कोचिंग में पिछले कई सालों से वूशु में अच्छा प्रदर्शन हो रहा है, लेकिन आवेदन और ज्यादा अंक होने के बावजूद उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से हर बार नजरअंदाज कर दिया जाता है।