…तो इसलिए नहीं मिल रही हफ्ते में 4 दिन काम करने की छूट

हफ्ते में 4 दिन काम करने के फायदे के बारे में कई खबरें आती रहती हैं। वर्कर्स इस बारे में मांग कर चुके हैं। बिजनस और सरकारें कई दशकों से इस पर एक्सपेरिमेंट भी कर रहे हैं। देखा जाए तो पूरी दुनिया 4- डे वर्कवीक पर लगभग 50 साल से बात कर रही है तो दिक्कत कहां आ रही है?

बीते हफ्ते, माइक्रोसॉफ्ट जापान की रिपोर्ट आई कि एक ट्राय के दौरान छोटे वीक से प्रॉडक्टिविटी में 40 फीसदी तक इजाफा देखा गया। इसके बाद इस मुद्दे पर कई स्टोरीज आईं।

वॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनस के ऑर्गनाइजेशनल साइकॉलजिस्ट ऐडम ग्रांट कहते हैं, अमेरिका में आने वाले समय में भी मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा। बता दे कि ग्रांट ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बिजनस लीडर्स से इस साल वर्कवीक छोटा रखने की मांग रखी थी।

एंप्लॉयर्स 4-डे वीक का एक्सपेरिमेंट करने से तीन वजहों से कतरा रहे हैं- एक तो उनका इंट्रेस्ट नहीं है, दूसरा एम्प्लॉयीज पर भरोसा नहीं है और उन्हें इसके फायदों की समझ नहीं है।

उन्होंने कहा कि और बेहतर स्टडी होने फिर भी एग्जिक्यूटिव्स को मनाया जा सकता है। कहा, 'मैं बेहतर और ज्यादा डेटा देखना चाहता हूं। इस समय हमारे पास कुछ ही उदाहरण हैं।'

ये उदाहरण परस्पर विरोधी भी हो सकते हैं। कुछ केसेज में 40 घंटे को 4 दिन में बांटा जा सकता है वहीं दूसरे केसेज में हफ्ते से सीधे एक दिन कम किया जा सकता है।

वर्क डे कम करने को लेकर कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स होते रहे हैं जिनमें कॉर्पोरेट एक्सपेरिमेंट्स के रिजल्ट सबसे ज्यादा पॉजिटिव रहे। बीते साल न्यू जीलैंड स्टेट प्लानिंग अडवाइजरी फर्म ने 240 एंप्लॉयीज के साथ 4-डे वीक पर ट्रायल किया और परफॉर्मेंस में बूस्ट देखा गया। एक्सपेरिमेंट इतना सक्सेसफुल था कि बिजनस, परपेचुअल गार्जियन ने परमानेंट चेंज कर दिया।

सिर्फ एंप्लॉयीज के सैटिस्फैक्शन के अलावा परपेचुअल गार्जियन के ट्रायल और माइक्रोसॉफ्ट जापान के ट्रायल में एंप्लॉयर्स के फायदे यानी प्रॉडक्टिविटी पर फोकस किया गया। वहीं एंप्लॉयीज भी हर जगर शॉर्ट वर्कवीक चाहते हैं।

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