मुंबई
वानखेड़े स्टेडियम की जिस विकेट पर भारतीय बल्लेबाज रनों के लिए संघर्ष करते रहे उसी विकेट पर ऑस्ट्रेलियाई सलामी जोड़ी- डेविड वॉर्नर (नाबाद 128) और एरॉन फिंच (नाबाद 110) ने दमदार प्रदर्शन करते हुए मेजबान टीम को मंगलवार को पहले वनडे मैच में 10 विकेट से हार के लिए मजबूर कर दिया। भारतीय टीम को वर्ष 2005 के बाद पहली बार वनडे इंटरनैशनल में 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान फिंच ने टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाजी के लिए बुलाया। शिखर धवन (74) और लोकेश राहुल (47) को छोड़कर भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने ज्यादा कुछ रन नहीं कर सके और 49.1 ओवरों में 255 रनों पर ढेर हो गए। ऑस्ट्रेलिया ने यह आसान सा लक्ष्य 37.4 ओवरों में बिना कोई विकेट खोए हासिल कर लिया। यह वनडे इतिहास में तीसरा मौका है जब कोई टीम 250 या उससे ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 10 विकेट से जीती है। रोचक बात यह है कि हारने वाली तीनों टीमें एशियाई हैं।
मैन ऑफ द मैच चुने गए डेविड वॉर्नर और फिंच की सलामी जोड़ी ने भारत में दूसरी बार पहले विकेट के लिए 200 से ज्यादा रनों की साझेदारी की है। इससे पहले यह दोनों 2017 में बेंगलुरु में 231 रन बनाए थे। यह भारत के खिलाफ किसी भी विकेट के लिए अभी तक सबसे बड़ी साझेदारी है। वहीं, यह ऑस्ट्रेलिया के लिए पहले विकेट के लिए दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी भी है। इससे पहले भारत के खिलाफ सबसे बड़ी साझेदारी 242 रनों की थी, जो स्टीव स्मिथ और जॉर्ज बैली ने 2016 में पर्थ में बनाई थी। इन दोनों ने जो बल्लेबाजी की उससे भारत को वनडे में अभी तक सिर्फ चौथी बार 10 विकेट से हार मिली। वहीं इस स्टेडियम पर भारत पहली बार 10 विकेट से हारा है। इस स्टेडियम में दोनों टीमों के बीच यह चौथा मैच था जिसमें से तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली है।
इन दोनों ने भारतीय गेंदबाजी की कलई खोलते हुए बल्लेबाजी को बेहद आसान बना दिया। दो ऐसे मौके आए थे जब भारत को सफलता मिल गई थी लेकिन रिव्यू में भारत को मायूसी मिली। अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी के बीच वॉर्नर ने अपने वनडे करियर का 18वां और फिंच ने 16वां शतक पूरा किया। वॉर्नर ने 112 गेंदों का सामना कर सात चौके और तीन चौके मारे। फिंच ने 114 गेंदों का सामना कर 13 चौके और दो छक्के लगाए। इन दोनों के सामने न जसप्रीत बुमराह चले और न ही मोहम्मद शमी। कुलदीप यादव की चाइनामैन और रविंद्र जडेजा की फिरकी भी इन दोनों के सामने बेअसर रही। वानखेड़े की बल्लेबाजों की मुफीद विकेट का इन दोनों ने भरपूर फायदा उठाया। इस विकेट के पहले के व्यवहारों को देखते हुए जब भारत टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करने उतरी तो लगा कि वह मेहमान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बड़ा स्कोर टांगेगी, लेकिन एक बार फिर मध्य क्रम और निचले क्रम की विफलता के कारण मेजबान कम स्कोर तक ही सीमित रह गई। भारतीय बल्लेबाजों की बात की जाए तो सिर्फ धवन ही अर्धशतक जमा सके। उन्होंने 91 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से अर्धशतकीय की पारी खेली। उनके सलामी जोड़ीदार रोहित शर्मा सिर्फ 10 रन ही बना पाए। मिशेल स्टार्क ने रोहित को 13 के कुल स्कोर पर वॉर्नर के हाथों कैच कराया। रोहित की वापसी से राहुल को नंबर-3 पर भेजा गया। राहुल और धवन ने टीम के स्कोरबोर्ड को अच्छे से चलाते हुए दूसरे विकेट के लिए 121 रनों की साझेदारी की।
राहुल अर्धशतक पूरा करने से तीन रन पहले ही एश्टन अगर की गेंद पर स्टीव स्मिथ को कैच देकर पवेलियन लौट लिए। उन्होंने 61 गेंदों का सामना कर चार चौके मारे। कुछ देर बाद पैट कमिंस ने धवन को आउट कर भारत का स्कोर तीन विकेट के नुकसान पर 140 रन कर दिया। लेग स्पिनर एडम जाम्पा ने चौथे नंबर पर आए कप्तान विराट कोहली को 16 के निजी स्कोर से आगे नहीं जाने दिया। कोहली के जाने के बाद एक बार फिर भारतीय मध्य क्रम और निचले क्रम की परीक्षा थी जिसमें वो पूरी तरह से विफल रहा। श्रेयस अय्यर चार, जडेजा 25, ऋषभ पंत 28 अंतिम ओवरों में तेजी से रन नहीं जुटा पाए सस्ते में आउट हो लिए। कुलदीप ने 17, शार्दूल ठाकुर ने 13 और शमी ने 10 रनों का योगदान देते हुए भारत को ढाई सौ पार पहुंचा। ऑस्ट्रेलिया के लिए स्टार्क ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए। कमिंस और रिचर्डसन को दो-दो सफलताएं मिलीं। जाम्पा और एश्टन के हिस्से एक-एक विकेट आया।