रायपुर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डी.के.एस.सुपर स्पेश्यिलिटी अस्पताल के निर्माण में शासकीय धन के अविवेकपूर्ण ढंग से व्यय की जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम गठित की है। जांच टीम में अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री तथा सचिव स्वास्थ्य सदस्य बनाए गए हैं। यह समिति विभिन्न बिन्दुओं पर जांच कर एक माह के भीतर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
समिति जिन बिन्दुओं की जांच करेगी उनमें योजना बनाने के विभिन्न चरणों एवं उसके क्रियान्वयन की अवधि में वित्त विभाग से प्रस्ताव का परीक्षण और अनुमोदन विधिवत कराया गया था अथवा नहीं। इसके साथ ही 50 करोड़ से अधिक की परियोजना होने के कारण मुख्य सचिव की समिति से इसका अनुमोदन लिया गया था अथवा नहीं। अस्पताल के बढ़ते आर्थिक संकट से उबरने के लिए विभिन्न विकल्प और सुझाव। मुख्यमंत्री ने सुपर स्पेश्यिलिटी अस्पताल के निर्माण पर हुए संपूर्ण व्यय का 2 माह में सी.ए.जी. से आडिट कराने के निर्देश दिए भी है। साथ ही इसके निर्माण में छत्तीसगढ़ मेडिकल कापोर्रेशन की भी भूमिका रही है अत: उसका भी आडिट साथ-साथ कराने को कहा गया है।
गौरतलब है कि डी.के.एस. सुपर स्पेश्यिलिटी अस्पताल की स्थापना के लिए 96 करोड़ 90 लाख रूपए अनुमानित लागत निर्धारित की गई थी तथा इसे मार्च 2018 तक प्रारंभ करने का लक्ष्य रखा गया था। अस्पताल के लिए 65 करोड़ रूपए का बैंक से ऋण लिया गया तथा उसका पुर्नभुगतान मरीजों से प्राप्त चिकित्सा शुल्क के माध्यम से किए जाने की योजना बनाई गई थी। यह मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का पहला अस्पताल है जिसके लिए बैंक से ऋण लिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 110 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है तथा 130 करोड़ रूपए का भुगतान लंबित है तथा बैंक ऋण एन.पी.ए. (नॉन परफार्मिंग एसेट) है। प्रथम दृष्यता यह पाया गया है कि सुपर स्पेश्यिलिटी अस्पताल के निर्माण की योजना बनाते समय आवश्यक विचार-विमर्श अथवा विस्तृत परीक्षण नहीं किया गया जो शासकीय धन के अविवेकपूर्ण ढंग से व्यय को परिलक्षित करता है।