पटना
सात प्रतिशत से अधिक बढ़ी हुई फीस लेने वाले निजी स्कूलों से या तो प्रशासन फीस की वसूली करेगा या उन्हें छात्रों की फीसी की अगली किस्त में उसे समायोजित करना होगा। यदि कोई स्कूल ऐसा नहीं करता है तो उसकी मान्यता रद्द करने के लिए सीबीएसई को अनुशंसा भेजी जाएगी।
सोमवार को प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने बिहार प्राइवेट स्कूल विनियमन अधिनियम 2019 को सख्ती से लागू करने के लिए निजी स्कूलों के संचालकों एवं प्राचार्यों के साथ बैठक में उक्त निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिया कि निजी स्कूल छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से लगाएं। स्कूल वाहनों में जीपीएस भी जरूरी है। प्रत्येक स्कूल को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध सुविधाओं का ब्योरा देना होगा।
आयुक्त ने कहा कि कोई भी स्कूल सात प्रतिशत से अधिक शुल्क नहीं बढ़ा सकता है। यदि इस वर्ष स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है तथा छात्र-छात्राओं से ले लिया है, तो वह अगली किस्त में ली गई राशि को समायोजित करें। इसकी सूचना अभिभावकों को भी दें। यदि किसी स्कूल को विशेष परिस्थिति जैसे आपदा में स्कूल भवन क्षतिग्रस्त होने पर यदि शुल्क बढ़ाने की जरूरत महसूस होती है तो उसे निजी विद्यालय शुल्क विनियमन समिति से अनुमति लेनी होगी।
समिति के अध्यक्ष प्रमंडलीय आयुक्त ही हैं। स्कूल को समिति के समक्ष फीस बढ़ाने से संबंधित अपना पक्ष रखना होगा। समिति की सहमति के बाद ही स्कूल सात प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ा सकते हैं। बता दें कि पटना जिले में लगभग 300 निजी स्कूल हैं। इस वर्ष अधिकतर निजी स्कूलों ने 10 से 30 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया है। अब ऐसे स्कूलों को सात प्रतिशत से अधिक ली गई राशि को या तो प्रशासन को लौटाना होगा या छात्र-छात्राओं के किस्त में समायोजित करना होगा।