नई दिल्ली
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की आज से शुरू हो रही अहम बैठक से ठीक पहले एक नया दांव खेला है। पाकिस्तान ने एफएटीएफ को सूचित किया है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना और वैश्विक आतंकवादी मसूद अजहर और उसका परिवार 'लापता' है। दरअसल, FATF की बैठक में पाकिस्तान के काली सूची में शामिल किए जाने का खतरा मंडरा रहा है और इसी से बचने के लिए पाकिस्तान सरकार ने अब यह पैतरा खेला है।
सूत्रों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादी घोषित किए गए आतंकवादियों पर कार्रवाई के लिए कहा गया था। एफएटीएफ के इस निर्देश के बाद अब पाकिस्तान ने कहा है कि 'मसूद अजहर और उसका परिवार लापता है।' अब तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की सुरक्षा में आलीशान जिंदगी बिता रहा मसूद अजहर और उसके परिवार को लापता बताने के पीछे पाकिस्तान की बड़ी कूटनीतिक चाल छिपी हुई है।
बताया जा रहा है कि अक्टूबर 2019 में एफएटीएफ की समीक्षा बैठक में पाकिस्तान को बड़ी राहत देते हुए आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए उसकी ओर से किए गए प्रयासों पर संतोष जताया गया था। साथ ही यह खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान ने सुधार तो किया है लेकिन आतंक के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के 'पूर्ण' खात्मे के लिए उसे 'अतिरिक्त कदम' उठाना होगा। इसके बाद मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत के 11 साल जेल की सजा सुना दी। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की कोशिश है कि हाफिज सईद की सजा और जैश सरगना मसूद अजहर को 'लापता' बताकर भारत और पूरी दुनिया को गुमराह कर दिया जाए।
इससे पाकिस्तान के एफएटीएफ की काली सूची में शामिल किए जाने का खतरा खत्म हो जाएगा और अपने 'आका' चीन की मदद से वह ग्रे लिस्ट से भी बाहर आ जाएगा। बता दें कि आतंकवाद को मुहैया कराए जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) का अध्यक्ष इन दिनों चीन से है। फिलहाल पाकिस्तान का केस FATF के पास रिव्यू के लिए गया है। आज से शुरू हो रही बैठक में यह देखा जाएगा आतंक से लड़ने के लिए उसने पर्याप्त कदम उठाए हैं या नहीं।
हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक एफएटीएफ को यह नहीं बताया है कि वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद भी उसने मसूद अजहर, 26/11 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकिउर रहमान लखवी या हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। अपने बचाव में पाकिस्तान ने दावा किया है कि यूएन द्वारा आतंकी घोषित किए गए कुल 16 लोग उसकी सरजमीं पर थे। इसमें से 7 मर चुके हैं। बचे 9 में से 7 ने यूएन में गुजारिश लगाई हुई है कि उनपर लगे वित्त और यातायात संबंधी प्रतिबंधों को हटाया जाए। इसमें हाफिज सईद, हाजी मुहम्मद अशरफ, जफर इकबाल, हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टवी, याहया मोहम्मद मुजाहिद, आरिफ कासमानी और अल कायदा का फाइनैंसर अब्दुल रहमान शामिल है। फिलहाल इन लोगों के बैंक अकाउंट भी बंद किए हुए हैं लेकिन ।
इस बीच पाकिस्तान ने ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए विक्टिम कार्ड खेला है। पाकिस्तान ने एफएटीएफ से खुद को अब आतंकवाद से पीड़ित बताया है। उसने कहा है कि उसे ट्विटर के मुख्यालय से सूचना मिली है कि बलूच लिबरेशन आर्मी ने 23 नवंबर 2018 को चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले को अंजाम दिया था। पाकिस्तान ने कहा कि जिस व्यक्ति ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, उसकी पहचान रईस बलूच के रूप में हुई है और वह अफगानिस्तान में रहता है। पाकिस्तान ने कहा कि रईस बलूच को इस हमले को अंजाम देने के लिए यूएई में रहने वाले दिनेश कुमार से 10 लाख पाकिस्तानी रुपया मिला था।
गौरतलब है कि एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में डाल दिया था और उसे ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए एक ऐक्शन प्लान दिया गया था जिसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करना था। जनवरी में बीजिंग में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाया गया कि पाकिस्तान ने 27 में से 14 निर्देशों पर ही काम किया है। आज से शुरू हो रही फाइनल प्लेनरी ग्रुप की बैठक में उसपर काली सूची में जाने का खतरा मंडरा रहा है। उधर, पाकिस्तान को उम्मीद है कि दुनिया को गुमराह करके और चीन की मदद से वह ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है।