नई दिल्ली
दिल्ली के जामिया इलाके में रविवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन मामले में 6 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आरोपियों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा है. इससे पहले आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया. बचाव पक्ष के वकीलों ने दावा किया कि आरोपियों को उनके बैकग्राउंड की वजह से हिरासत में लिया गया.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि क्या इनके खिलाफ पुराने आपराधिक मामले दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये पहले भी ऐसे उपद्रवी मामलों के आरोपी रह चुके हैं.
मामले में 10 लोग गिरफ्तार
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने मामले में जामिया इलाके से 10 लोगों को गिरफ्तार किया. खास बात ये है कि गिरफ्तार लोगों में एक भी स्टूडेंट नहीं है. पुलिस के मुताबिक सभी गिरफ्तार शख्स क्रिमिनल बैकग्राउंड के हैं. गिरफ्तार 10 लोगों में से 3 इलाके के BC यानी बेड कैरेक्टर घोषित क्रिमिनल हैं.
वहीं, घटना में कथित संलिप्तता के लिए AAP विधायक और अन्य के खिलाफ कार्रवाई पर दिल्ली पुलिस के सूत्र ने कहा कि मामले में जांच चल रही है. जो भी इसमें शामिल होगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
क्या है पूरा मामला?
रविवार को दक्षिण दिल्ली में नाराज भीड़ ने पुलिसकर्मियों, आम नागरिकों और मीडिया को निशाना बनाया था. भीड़ ने दक्षिणी दिल्ली को कब्जे में ले लिया. प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने और पुलिस के साथ झड़प के पांच घंटे बाद पुलिस ने जामिया नगर में फ्लैग मार्च किया.
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे. हिंसक भीड़ ने पुलिसकर्मियों की बड़ी टुकड़ी से संघर्ष किया और मीडिया पर भी पथराव किया. इस दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया के कई छात्र भी घायल हुए.
आरोप है कि पुलिस कैंपस की लाइब्रेरी में घुसी और छात्रों से मारपीट की, जिसमें कई छात्र घायल हुए. वहीं एक चश्मदीद के मुताबिक, जब बाहर से ज्यादा गैस के गोले आने लगे तो जो छात्र नीचे लाइब्रेरी में थे वो ऊपर आने लगे. फिर 15 मिनट बाद पुलिसवाले अंदर घुसे. उन्होंने दरवाजे तोड़ दिए और फिर वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों से मारपीट करने लगे.