मुंबई
ऐंटीबायॉटिक हमारे शरीर को बैक्टीरिया के हमलों से बचाता है। साथ ही यह औषधि के रूप में भी काम करता है। मगर इसके अपने कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। अगर जरूरत से ज्यादा ऐंटीबायॉटिक का इस्तेमाल किया जाए तो शरीर इसकी तरफ प्रतिरोध यानी रेजिस्टेंस विकसित कर लेता है। यानी फिर किसी भी तरह की बीमारी में कोई भी दवा शरीर पर असर नहीं करती। तो क्यों और कैसे बढ़ रहा है ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध यहां जानें…
सुपरबग का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है भारत
भारत लंबे समय से New Delhi metallo-beta lactamase-1 नाम के सुपरबग और ड्रग रेजिस्टेंट टीबी फैलाने के लिए जाना जा रहा है और अब जानवरों में भी ऐंटीबायॉटिक रेजिस्टेंस के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, वियतनाम, तुर्की, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भी जानवरों में ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध के हॉटस्पॉट हैं। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और दिल्ली बेस्ड सेंटर फॉर डिजीज डायनैमिक्स, इकॉनोमिक्स ऐंड पॉलिसी ने साथ मिलकर एक रिव्यू स्टडी की है जिसे साइंस नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
अमेरिका में भारतीय सुपरबग के कारण एक महिला की मौत हो गई है। पता चला है कि दुनिया की कोई भी ऐंटीबायॉटिक इस संक्रमण का इलाज नहीं कर सकती है।साल 2008 में भारतीय मूल की एक स्वीडिश महिला के अंदर पहली बार यह सुपरबग पाया गया था। डॉक्टरों ने इसे न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस (NDM) का नाम दिया है। इस खबर से अगर आपको डर लग रहा है, तो बिल्कुल सही लग रहा है। इसके नतीजे इतने भयानक हो सकते हैं, जिसका शायद आप ठीक-ठीक अनुमान भी ना लगा सकें। यह सुपरबग हम भारतीयों की लापरवाही के कारण पैदा होता है। एक ऐसी लापरवाही जो अगर तत्काल ना रोकी गई, तो आने वाले समय में एक भयंकर लाइलाज महामारी का रूप ले लेगी। इसकी चपेट में ना केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया आ सकती है।