बिलासपुर
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में उच्च स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट पर स्टे लगा दिया है. फिलहाल, अजीत जोगी की विधायकी बरकरार रहेगी.
एफआईआर की प्रक्रिया पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. बता दें कि अजीत जोगी ने अपने खिलाफ बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है. साथ ही दो आवेदन देकर समिति की रिपोर्ट और एफआईआर पर अंतरिम रूप से रोक लगाने की मांग की है.
27 जनवरी 2001 से शुरू हुआ था जोगी की जाति का विवाद
प्रदेश के पूर्व सीएम अजीत जोगी की जाति को लेकर बिलासपुर के संतकुमार नेताम ने बीते 27 जनवरी वर्ष 2001 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग से शिकायत की थी. तब से ये विवाद का सिलसिला शुरू जारी है. आयोग ने 16 अक्टूबर 2001 में जोगी को आदिवासी नहीं मानते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इसके बाद अजीत जोगी ने 22 अक्टूबर 2001 को आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने आयोग के आदेश पर इसी दिन रोक लगा दी थी.
जां के लिए बनाई गई थी समिति
संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने बीते 15 नवंबर 2006 को अपने दिए गए फैसले में यह कहते हुए आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया था कि आयोग को जाति निर्धारित करने का अधिकार नहीं है. इसके बाद नेताम ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ सरकार को उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति गठित कर जाति की जांच करने को कहा था. आईएएस मनोज कुमार पिंगुआ की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी.
समिति ने विजिलेंस की जांच के बाद रिपोर्ट सौंपी, लेकिन बाद में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विजिलेंस की रिपोर्ट को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि नए सिरे से समिति बनाकर जांच कराई जाएगी. इसके बाद आईएएस रीना बाबा कंगाले की अध्यक्षता में एक बार फिर उच्च स्तरीय छानबीन समिति का गठन किया गया.