भोपाल
मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे का क्लाइमेक्स तय हो गया है. राज्यपाल लालजी टंडन ने निर्देश दिया है कि कल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जाएगा. राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने को भी कहा है. इस बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक जो जयपुर के एक रिसॉर्ट में ठहरे थे, भोपाल एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए हैं.
सरकार सदन में अपना बहुमत खो चुकी है- राज्यपाल
राज्यपाल लाल जी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी भेजकर सोमवार को सरकार का बहुमत परीक्षण कराने को कहा है. चिट्ठी में राज्यपाल ने साफ शब्दों में लिखा है, ‘’सरकार सदन में अपना बहुमत खो चुकी है. इसलिए संवैधानिक और प्रजातंत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सरकार को बहुमत साबित करना जरूरी है.’’
सीएम कमलनाथ और स्पीकर के नाम चिट्ठी में राज्यपाल ने आदेश दिया है कि 16 मार्च से शुरु हो रहे बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के फौरन बाद विश्वास मत पर वोटिंग कराई जाए और इसकी वीडियोग्राफी भी हो. राज्यपाल लालजी टंडन ने ये आदेश बीजेपी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद जारी किया, इस मुलाकात में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई थी.
कांग्रेस के बागी विधायकों से मिल सकते हैं सिंधिया-शिवराज
इससे पहले कांग्रेस ने सभी विधायकों को व्हिप जारी कर बजट सत्र के लिए भोपाल में मौजूद रहने का आदेश जारी किया था. इसी के मद्देनजर जयपुर भेजे गए कमलनाथ समर्थक विधायक आज वापस भोपाल पहुंच जाएंगे. सूत्रों के हवाले से खबर है कि शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया आज बेंगलुरु में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों से मुलाकात करेंगे.
…तो गिर सकती है कमलनाथ सरकार
इन विधायकों ने पहले ही विधानसभा अध्यक्ष अपना इस्तीफा भेज दिया है, जिसमें से 6 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो गया है. इस लिहाज से देखें तो मध्य प्रदेश विधानसभा में कमलनाथ सरकार के लिए बहुमत साबित करना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है. अब अगर बेंगलुरु गए कांग्रेस के 16 बचे हुए विधायक भी इस्तीफा देने पर अड़ जाते हैं तो कमलनाथ सरकार का गिरना तय है.
क्या कहता है सीटों का गणित?
ऐसी स्थिति में सदन में कुल विधायकों की संख्या 206 रह जाएगी और बहुमत के लिए चाहिए 104 विधायकों का समर्थन होगा. लेकिन इस स्थिति में कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक बचेंगे और और गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी विधायकों के समर्थन के बाद भी आंकड़ा 99 पर पहुंचेगा. जो कि बहुमत से 5 कम है. ऐसी स्थिति में बीजेपी आसानी से सरकार बना लेगी, क्योंकि विधानसभा में बीजेपी के पास 107 विधायकों का समर्थन है.