पटना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जबतक वे हैं शराबबंदी पर कोई समझौता नहीं करने वाले हैं। बड़े ही शायराना अंदाज में अपने दृढ़ निश्चय से जुड़ी कुछ पंक्तियां भी सुनाईं-‘चल पड़ा है कारवां तो, बीच में रुकना मना है, विघ्न पथ को लांघना है, हारना-झुकना मना है। कहा कि यह कारवां तो पहले 1 अप्रैल, 2016 को देहाती क्षेत्र में शराबबंदी और फिर 5 अप्रैल 2016 को सभी शहरों समेत पूरे बिहार में पूर्ण नशाबंदी के रूप में चल पड़ी है। कहा कि गड़बड़ करने वालों को पकड़ना भी है लेकिन उन्हें शराब नहीं पीने के लिए जागरूक भी करना है। इसके लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाना होगा। दारू की होम डिलीवरी का दुष्प्रचार चंद लोग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सोमवार को ज्ञान भवन में नशा मुक्ति दिवस समारोह में बोल रहे थे। अधिकारियों से कहा कि राज्यभर में शराब को लेकर गांधी का यह कथन प्रचारित -प्रसारित करें कि ‘शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। मानव शृंखला से हम बिहार ही नहीं बिहार के बाहर के लोगों को भी बता देना चहेंगे कि बिहार के लोग जल संरक्षण के लिए मिलकर काम करने को तैयार हैं। जल है तो जीवन है। जल महत्वपूर्ण है, दारू नहीं। मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की सप्ताह में पांच दिन समीक्षा करने का आदेश दिया। कहा कि डीजीपी, गृह व मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव, आईजी मद्य निषेध और आईजी स्पेशल ब्रांच सोमवार से शुक्रवार पांच रोज आधा घंटा बैठकर समीक्षा करें। पूरे बिहार में कहां क्या हो रहा है। पड़ोसी राज्यों में कितनी शराब खपत बढ़ी है, इसका पता कराएं। केवल ट्रक ड्राइवर खलासी को पकड़ने से नहीं होगा। जो दायें-बायें कहीं कुछ कर रहे हैं उनपर अंकुश लगाइए। विशेष शाखा भी नजर रखे।
मुख्यमंत्री ने अगले साल 21 जनवरी को पूरे बिहार में मानव शृंखला बनाए जाने की घोषणा की। मानव शृंखला नशामुक्ति व जल जीवन हरियाली के पक्ष में तथा सामाजिक कुरीति दहेज व बाल विवाह के खिलाफ होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीनों मुद्दों को लेकर जो मानव शृंखला 21 जनवरी को बने वह अबतक के सारे रेकार्ड तोड़ दे। वर्ल्ड रेकार्ड तो पहले ही बिहार तोड़ चुका है। उन्होंने मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और जीविका की दीदियों को अभी से इसकी तैयारी में जुट जाने को कहा। गौरतलब है कि यह बिहार में तीसरी मानव शृंखला होगी। इससे पूर्व शराबबंदी व दहेज तथा बाल विवाह को लेकर दो मानव कतारें लग चुकी हैं।
5000 करोड़ की आय कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ा
नीतीश कुमार ने कहा कि कुछ लोगों को शराबबंदी से 5000 रुपए के टैक्स की आय कम होने की चिंता हो रही थी। तो मैं कहूंगा कि इससे लोगों का 10000 करोड़ से अधिक बच रहा है। विकास का कौन सा काम रुका है। लोगों की सेवा करना हमारा धर्म है। हमलोगों ने विकास के अनेकों काम किए हैं और कर रहे हैं लेकिन हमें इसके साथ समाज सुधार के लिए भी काम करना होगा। शराब बंद होने से लोगों का जो पैसा बर्बाद हो रहा था अब वे इसका उपयोग कर रहे हैं। बच्चों का कपड़ा, मिठाई और दूध ला रहे हैं। उन्हें पढ़ा रहे हैं। एक महिला ने ठीक ही कहा, पति दारू पीते थे तो कुरूप लगते थे, छोड़ दिए तो सुंदर लगने लगे हैं। उन्होंने ताड़ी से नीरा बनाकर बेचने में विकास आयुक्त और उद्योग विभाग को अपनी भूमिका निभाने को कहा।
टीबी, मधुमेह, एचआईवी से अधिक मौतें शराब से
मुख्यमंत्री ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के हवाले कहा कि दुनियाभर में एक साल में 30 लाख मौत होती है। इसमें 5.3 फीसदी दारू पीने से मरते हैं। आत्महत्या से 18 फीसदी और सड़क दुर्घटना में 27 फीसदी। टीबी, एचआईवी और मधुमेह से अधिक मौतें शराब पीने से हो रही है। इसलिए शराबबंदी के पक्ष में जीविका की दीदियां निरंतर अभियान चलाएं। मुख्यमंत्री ने शराबबंदी से लेकर अबतक के सालाना पर्यटकों की संख्या के आधार पर कहा कि इसमें हर साल इजाफा ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजगीर, गया, बोधगया भला कोई शराब पीने क्यों आएगा।