राजनीति

जबरन हिंदी थोपने की कोशिश में केंद्र: स्‍टालिन

चेन्नै
हिंदी दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा एक देश-एक भाषा के सिद्धांत का पक्ष लिए जाने के बाद अब दक्षिण भारत के राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर आए हैं। तमिलनाडु की प्रमुख पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) के नेता एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपनी नीतियों में तमिलनाडु के साथ भेदभाव कर रही है और यहां के लोगों पर जबरन हिंदी भाषा को थोपा जा रहा है। स्टालिन ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को एक साथ आने और केंद्र का पुरजोर विरोध करने की मांग की है।

शनिवार को स्टालिन ने चेन्नै में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार आने के बाद केंद्र सरकार ने तमिल भाषा को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जबरन लोगों पर हिंदी भाषा को थोप रही है और तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में भी तमिल भाषा की उपेक्षा की गई है।

'प्रतियोगी परीक्षाओं में तमिल साइड लाइन'
स्टालिन ने आरोप लगाया कि सरकार के रेलवे और डाक विभागों ने हिंदी भाषा के कारण अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में तमिल भाषा को साइडलाइन किया है। स्टालिन ने कहा कि अब हिंदी दिवस पर गृहमंत्री एक देश-एक भाषा के सिद्धांत की वकालत कर रहे हैं जो कि राष्ट्र की अखंडता के खिलाफ है और ऐसे में इस बयान को वापस लेने की जरूरत है।

'तमिलनाडु के साथ केंद्र ने किया भेदभाव'
स्टालिन ने कहा कि सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय नीतियों से जुड़े अन्य विषयों पर भी केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के साथ भेदभाव किया है। स्टालिन ने आरोप लगाया है कि नैशनल एंट्रेस एलिजिबिलिटी टेस्ट, कावेरी विवाद समेत अन्य कई मुद्दों पर तमिलनाडु के साथ न्याय नहीं किया गया है। स्टालिन ने कहा कि इस बार फिर हिंदी थोपने के मुद्दे पर विपक्ष को एक होना होगा और एक साथ होकर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी ने भी किया था बयान का विरोध
इससे पहले स्टालिन ने रविवार को मीडिया से कहा था कि हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी से हमें आघात पहुंचा है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम मांग करते हैं कि वह बयान वापस लें। स्टालिन के अलावा कई अन्य विपक्षी दलों ने भी अमित शाह के बयान का विरोध किया था। हैदराबाद से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 'एक भाषा' की डिबेट को हिंदुत्व से जोड़कर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे।'

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