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जनगणना विभाग के बजट में 635% का इजाफा, NPR का खर्च भी शामिल

नई दिल्ली
देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर छिड़ी बहस के बीच इनका बजट आवंटन 635.19 प्रतिशत बढ़ाया गया है। इसमें एनपीआर पर होने वाला खर्च भी शामिल है। इसमें जनसंख्या, सर्वेक्षण एवं सांख्यिकी और भारत के महारजिस्ट्रार विभाग का कुल खर्च शामिल है।

बजट में विभाग के लिए कुल आवंटन 4,568 करोड़ रुपए कर दिया गया है। मौजूदा बजट प्रावधान पिछले बजट के मुकाबले 635.19 प्रतिशत अधिक है। जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए 4,278 करोड़ रुपए का प्रावधान है, जो पिछले वित्त वर्ष से 696.15 प्रतिशत अधिक है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में सरकार ने जनगणना से जुड़े एनपीआर की समीक्षा कर इसे प्रासंगिक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

एनपीआर में भारत के हर सामान्य निवासी का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके संबंध में एक सामान्य निवासी वह व्यक्ति है जो कम से कम छह महीने या उससे ज्यादा समय के लिए स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है, या वह अगले छह महीने या उससे अधिक समय के लिए निवास करने की मंशा रखता है।

जनगणना विभाग

  • 8,500 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है अप्रैल से सितंबर के बीच होने वाली जनगणना पर।
  • 4,278 करोड़ रुपए का प्रावधान जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए।
  • 537.33 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे पिछले वित्त वर्ष में इस मद में।
  • 621.33 करोड़ रुपए का कुल प्रावधान किया गया था वित्त वर्ष 2019-20 में।
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