गुवाहाटी
भले ही ओसामा बिन लादेन को आठ साल पहले अमेरिकी नेवी सील ने मार गिराया हो लेकिन आज भी उसका नाम असम में खौफ पैदा करता है। पिछले हफ्ते असम के गोलापारा जिले में सब लोगों की जुबां पर एक ही सवाल था, 'लादेन पकड़ा गया क्या?' यह लादेन एक जंगली हाथी है जो गोलापारा में एक ही रात में 5 लोगों की जान ले चुका है।
इस जंगली हाथी की खोज में 8 वन्य अधिकारी लगे हुए हैं जो ड्रोन की मदद से सतबारी रिजर्व फॉरेस्ट का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। उनका मकसद है कि इससे पहले 'लादेन' किसी और इंसान की जान ले उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर पकड़ लिया जाए। लेकिन इस बीच असम के नागरिकों का चैन उड़ा हुआ है।
इस साल अब तक हमलों में 57 लोग की जान गई
वन विभाग के मुताबिक, इस साल अब तक जंगली हाथी के हमलों में 57 लोग मारे जा चुके हैं। इसी साल जुलाई में पर्यावरण व वन मंत्रालय में लोकसभा में आंकड़े पेश करते हुए बताया था कि दूसरे राज्यों की तुलना में असम में हाथी के हमलों में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है।
सबसे ज्यादा कर्नाटक में हाथी हैं
साल 2017 में देश के 23 राज्यों में हाथियों की जनगणना हुई थी। इससे पता चला कि असम में 5,719 हाथी हैं जो देश में दूसरे नंबर पर है। इससे ज्यादा 6,049 हाथी केवल कर्नाटक में हैं। साल 2018-19 में हाथियों के हमले में असम में 86 लोग मारे गए थे, 2017-18 में 83 और 2016-17 में 136 लोग मारे गए थे। वहीं कर्नाटक में साल 2018-19 में 13, 2017-18 में 23 और 2016-17 में 38 लोगों की मौत हुई थी।
पहली बार 2006 में हाथी बना था 'लादेन'
असम के गांवों में जंगली हाथियों का इतना आतंक है कि खेतों, फसलों और गावों पर हमले करने वाले हर जंगली हाथी को यहां 'लादेन' कहा जाने लगा है। ऑनरेरी वाइल्ड लाइफ वॉर्डन कौशिक बरुआ कहते हैं, 'खूनी जंगली हाथी को 'लादेन' पहली बार तब कहा गया जब साल 2006 में सोनितपुर जिले में एक जंगली हाथी ने दर्जनों लोगों को मार डाला था, इसी समय आतंकवादी बिन लादेन भी चर्चा में था। इसी साल के आखिर में लादेन नाम का यह हाथी मारा गया और आतंकवादी बिन लादेन 2011 में।'