छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में 82% तक पहुंचा आरक्षण का कोटा

रायपुर
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके साथ ही राज्य में अब आरक्षण 82% पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए 32%, अनुसूचित जाति के लिए 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक पारित किया था, जिसके बाद से राज्य में भी सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग की जा रही थी।

देश में सबसे ज्यादा
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए छत्तीसगढ़ में लोक पदों और सेवाओं में और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में सीटों का 10% आरक्षण करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के साथ ही राज्य में आरक्षण 82% पर पहुंच गया है जो देश में सबसे ज्यादा तो है ही, सुप्रीम कोर्ट की 50% आरक्षण कैप से भी 22% ज्यादा है।

किए जाएंगे संशोधन
अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में जनसंख्यात्मक जानकारी एकत्रित करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम,1994 में संशोधन करने के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम संशोधन अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

इसके तहत अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12% से बढ़ाकर 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का अनुमोदन किया गया जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री बघेल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सामान्य वर्ग ने राज्य में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग की थी। राज्य में पहले से ही अनुसूचित जनजाति के लिए 32% आरक्षण है।

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