रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में शराब (Liquor) को लेकर घमासान चल रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि राज्य की कांग्रेस (Congress) सरकार एक बार फिर से शराब बेचने की पूरी तैयारी में है. इसके लिए बकायदा शराब की दुकानों के नए वित्तिय वर्ष में संचालन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. नए वित्तीय वर्ष के शुरू होते ही प्रदेश में 662 शराब की दुकानें एक बार फिर से खुल जायेंगी. इससे साफ है कि राज्य की कांग्रेस (Congress) सरकार फिलहाल शराबबंदी के मूड में नहीं दिख रही है. इसको लेकर विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर निशाना भी साधा है.
शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार की बनी कमेटी एक साल पूरा होने के बाद भी अपना काम शुरू नहीं कर पायी है. इसकी वजह है कमेटी के लिए विपक्षी दलों द्वारा सदस्यों का नाम नहीं देना. इसको लेकर कांग्रेस सरकार मुद्दा बनाकर एक साल ओर शराब की दुकानों का चलाने जा रही है. कमेटी के लिए एक साल गुजरने के बाद भी बीजेपी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने अपने अधिकृत विधायकों की सूची कमेटी के लिए नामांकित नहीं किया है.
शराबबंदी की कमेटी में नाम के लिए ना तो बीजेपी और ना ही जोगी कांग्रेस ने अबतक दिलचस्पी दिखायी है. लिहाजा राज्य सरकार की तरफ से एक बार फिर दोनों दलों को पत्र जारी कर सदस्यों को नामांकित करने के लिए कहा है, जिसको लेकर प्रदेश के पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह का कहना है कि अगर सरकार शराबबंदी करना चाहती है तो वो बिना कमेटी के कर सकती है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को पूरा करने के लिए गंगाजल को हाथ में लेकर कसम क्यों खाई थी. पूर्व सीएम अजीत जोगी भी कांग्रेस सरकार को घेर रहे है. उनका कहना है कि शराबबंदी के वायदे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस शराबबंदी पर टालमटोल कर रही है.
शराबबंदी पर सफाईराज्य में अभी देशी-विदेशी मिलाकर कुल 712 शराब की दुकानें हैं. 50 दुकानें बंद होने के बाद नए वित्तीय वर्ष में राज्य में 662 दुकानें रह जाएंगी. आबकारी राजस्व की सुरक्षा की दृष्टि से शराब की कंपॉजिट दुकानें खोलने का फैसला किया है. अब देशी और विदेशी शराब एक ही दुकान से बेची जा सकेगी. आबकारी मंत्री कवासी लखमा कहते हैं कि एका-एक शराबबंदी नहीं की जा सकती है. हम धीरे-धीरे प्रदेश में शराबबंदी कर रहे हैं. इसके लिए समाज के हर वर्ग से चर्चा करेंगे.