रायपुर
छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन को पूरी तरह बंद कर दिया है। सरकार ने गुरुवार को एक अध्यादेश जारी कर उस नियम को ही खत्म कर दिया, जिसके जरिए यह पेंशन दी जाती थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के इस फैसले को तानाशाहीपूर्ण और लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया।
राज्य में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने वर्ष 2008 में मीसा बंदियों के लिए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि देने का फैसला लिया था। इसके तहत 15 से 25 हजार रुपये मासिक सम्मान निधि दी जाती रही है। सत्ता में हुए बदलाव के बाद कांग्रेस की सरकार ने इस निधि को बंद कर दिया। यह मामला उच्च न्यायालय गया तो वहां से सम्मान निधि देने का आदेश हुआ। दिसंबर 2019 के आदेश में भौतिक सत्यापन के बाद पेंशन देने को कहा गया था।
कोर्ट जाने की तैयारी में बीजेपी
भूपेश बघेल सरकार ने गत गुरुवार को एक अध्यादेश जारी कर उस नियम को ही खत्म कर दिया है, जिसके जरिए यह सम्मान निधि दी जाती थी। इसके चलते अब राज्य के मीसाबंदियों की पेंशन पूरी तरह बंद हो गई है। सरकार के इस फैसले की बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने निंदा करते हुए कहा कि यह निर्णय तानाशाहीपूर्ण और लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है। बीजेपी भूपेश बघेल सरकार के इस निर्णय के खिलाफ न्यायालय जाएगी।
'नेताओं को खुश करने के लिए था ऐलान'
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2008 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आपातकाल के दौरान राज्य के राजनीतिक या सामाजिक कारणों से मीसा, डीआईआर के अधीन निरुद्ध व्यक्तियों को सहायता देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 बनाया था। सत्ताधारी दल कांग्रेस के प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा है कि उन्होंने मीसा बंदियों पर खर्च की जाने वाली लाखों-करोड़ो रुपयों की राशि के वितरण पर रोक लगाने और इस नियम को समाप्त करने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की थी। तिवारी ने कहा कि बीजेपी की तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने (बीजेपी-आरएसएस) नेताओं को खुश करने के लिए मीसा बंदियों को राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया था, जिसे सम्मान निधि कहा जाता था।