रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में जहरीले एफ्लाटॉक्सिन एम-1 मिला दूध (Milk) बिक रहा है. फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की जांच रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. एफएसएसएआई ने प्रदेश के 16 शहरों से 2018 में जून से दिसंबर के बीच दूध के 84 सैंपल लिए थे. उनकी जांच में 15 सैंपल अमनाक निकले हैं, इनमें से पांच में एफ्लाटॉक्सिन एम-1 पाया गया, जो सैंपल अमानक मिले हैं, उनमें से कुछ में एंटीबायोटिक भी मानक से ज्यादा पाया गया. इसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है.
दरअसल एफएसएसएआई (FSSAI) ने इस परीक्षण के लिए देश के 50 हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले 1103 शहरों से दूध (Milk) के 6432 सैंपल लिए थे. इसमें 42 फीसदी फेल हो गए. इन सैंपलों में ब्रांडेड डिब्बाबंद, पैकेट वाले तथा खुली डेयरियों का दूध है. अथॉरिटी की रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया कि प्रदेश के जिन सैंपलों में टॉक्सिन है, वे किस शहर के हैंत्र डॉक्टरों के अनुसार एफ्लाटॉक्सिन एम-1 मिला दूध पीने वालों का लिवर डैमेज होने का खतरा बहुत अधिक रहता है.
मिली जानकारी के मुताबिक एफ्लाटॉक्सिन एम-1 एस्पर्जिलस फ्लैक्स नामक फफूंद स्टोर किए गए अनाज, मूंगफली, मक्खन या पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे पर होती है. इससे एफ्लाटॉक्सिन पैदा होता है. पशु जब फफूंद वाली सामग्री खाते हैं तो वह पेट में चली जाती है. फिर यह दूध में भी मिक्स हो जाती है. मवेशियों को बीमारी से बचाने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लिए बिना कई लोग एंटीबायोटिक खिला देते हैं. यह भी दूध में घुल जाता है जो हमारे शरीर के लिए खतरनाक है.
छत्तीसगढ़ में दूध के 84 सैंपल लिए गए. इनमें से 5 में एफ्लाटॉक्सिन एम-1 पाये गए हैं. प्रदेश में रायपुर, कोरबा, दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, धमतरी, भिलाई-चरोदा, बिरगांव, चिरमिरी, राजनांदगांव, भाटापारा, जगदलपुर व महासमुंद से सैंपल लिए गए. एफ्लाटॉक्सिन से कैंसर का खतरा होता है. छोटे बच्चों में ये रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता है एफ्लाटॉक्सिन एम-1 लिवर के लिए खतरनाक है. ऐसे दूध का सेवन करने से लिवर सिरोसिस भी हो सकता है.