चित्रकूट
भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट (religious city Chitrakoot) में दीपावली (Deepawali) के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी में दीपदान करके भगवान कामतानाथ में दीपक जलाया और परिक्रमा करके पुण्य अर्जित किया. मान्यता है कि भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद सबसे पहले चित्रकूट के कामतानाथ पहुंचे थे और यहीं पर दीपदान किया था. भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल के साढे 11 वर्ष से अधिक का समय चित्रकूट में ही बिताया था.
चित्रकूट में दीपावली के दौरान पांच दिवसीय दीपदान मेला लगता है. यहां पर देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम की तपोस्थली में मां सती अनुसुइया के प्रताप से उत्पन्न मंदाकिनी में डुबकी लगाते हैं. इसके साथ ही भगवान श्री राम के निवास स्थान कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की प्रदक्षिणा करते हैं. दीपावली यानी 27 अक्टूबर को यहां 4 मुखारविंद वाले प्रभु के स्थान पर दीपदान कर लोगों ने पुण्य प्राप्त किया और अपनी मन्नतों को पूर्ण होने की कामना की.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित यह पुण्य तीर्थ अपनी पौराणिक महत्ता के लिए जाना जाता है. इस स्थान की भगवान श्रीराम ही नहीं, लाखों ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में विश्व में ख्याति है. 5 दिन तक चलने वाले इस दीपदान मेले में 40 से 50 लाख श्रद्धालु प्रतिवर्ष पहुंचते हैं. दीपावली की पूरी रात दीपदान और परिक्रमा का कार्यक्रम चलता रहा.