लखनऊ
टिफिन में रखा आलू का पराठा सूख कर काला हो चुका है। मां अनम्मा के आंसू भी। आंसुओं की जगह एक भावहीन कठोरता ने ले ली है। आखिर चार साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। 10 अप्रैल 2015 को अनम्मा ने बेटे राहुल को टिफिन में उसके मनपसंद आलू के पराठे दिए थे। बेटा स्कूल तो गया पर टिफिन खोल ही नहीं पाया। उससे पहले ही रहस्यमय हालात में ला-मार्टिनियर कॉलेज की छत से गिरकर उसकी मौत हो गई। लखनऊ पुलिस इस मामले में तीन बार फाइनल रिपोर्ट लगा चुकी है। उसे हत्या का कोई सुबूत नहीं मिला, लेकिन मां यह मानने को कतई तैयार नहीं। पहले सेशन कोर्ट, फिर हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फिर जांच शुरू हुई है।
पुलिस ने गुरुवार दोपहर राहुल के छत से गिरने का सीन रीक्रिएट करना शुरू किया। मां अनम्मा और पिता विश्वनाथ श्रीधरन ने आपत्ति जताई कि जो पुतला गिराया जा रहा है, उसकी हाइट व वजन काफी कम है। स्कूल के कर्मचारियों ने गिरने का जो स्पॉट बताया, वह भी पहले खींचे गए पुलिस फोटोग्राफ से अलग निकला। फरेंसिक टीम सही स्पॉट पर पहुंची। वहां निशान लगाए गए, फिर पुतले को छत से गिराने का सिलसिला शुरू हुआ।
पांच बार गिराए पुतले
पुलिस ने शाम 4:30 से 6:00 बजे के बीच 54 फुट ऊंची कॉन्स्टेशिया बिल्डिंग से पांच बार दो पुतले गिराए। चार बार सफेद पुतला और एक बार काला। चार बार पुतला छत से सिर्फ छोड़ा गया वह जमीन पर दीवार से चार फुट दूर गिरा। आखिरी बार पुतले को धक्का दिया गया तो दीवार से 10 फुट दूर गिरा। राहुल का शव भी दीवार से करीब इतनी ही दूरी पर मिला था। शाम तक पुलिस और फरेंसिक टीम औपचारिकताएं पूरी करती रही पर अनम्मा के लिए तो मानो यह एक पड़ाव भर था।
मां की आशंका के पीछे हैं वजहें
अनम्मा को पूरा विश्वास है कि बेटे का कत्ल ही हुआ। उनकी इस आशंका के पीछे मां की भावुकता नहीं बल्कि सुबूत हैं। उनके मुताबिक, 11 बजे की घटना की जानकारी घरवालों को तीन बजे दी गई। खून के सैंपल डेढ़ साल बाद जांच को भेजे गए। चोट भी ऐसी लगी हैं, जो आमतौर पर गिरने से नहीं लगतीं।
30 लाख के कर्जदार हो गए
राहुल के माता-पिता ने खुद हैदराबाद की एक लैब से फरेंसिक जांच करवाई। इसके अलावा इंग्लैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स ऑफ एडिनबर्ग के डॉ. जेसन पेन जेम्स से चोट के बारे में राय ली। दोनों रिपोर्टों ने उनकी आशंकाओं को बल दिया। इन जांचों और सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई में वे 30 लाख के कर्जदार हो गए। सीन रीक्रिएशन के दौरान भी अनम्मा की नजर एक-एक गतिविधि पर थी। वह हर बारीकी को खुद नोट कर रही थीं। अभी जो जांच हो रही है, उसकी रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट जानी है। अनम्मा और विश्वनाथ अब कोई कमजोर कड़ी छोड़ना नहीं चाहते।
संघर्ष के चार साल
10 अप्रैल 2015 : ला-मार्टिनियर में कक्षा नौ के छात्र राहुल की संदिग्ध हालात में कॉन्स्टेशिया बिल्डिंग से गिरकर मौत
17 अप्रैल 2015 : राहुल की मां अनम्मा ने गौतमपल्ली थाने में अज्ञात के खिलाफ केस करवाया
15 नवंबर 2015 : गौतमपल्ली पुलिस ने साक्ष्य न मिलने की बात कहकर फाइनल रिपोर्ट लगाई
16 अगस्त 2017 : पुलिस की एफआर के खिलाफ राहुल के माता-पिता हाई कोर्ट पहुंचे
15 सितंबर 2017 : हाई कोर्ट ने दोबारा जांच के आदेश दिए।
10 फरवरी 2017 : पुलिस ने दोबारा एफआर लगाई। हाई कोर्ट एफआर स्वीकारी
5 अप्रैल 2019 : मां अनम्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की, फिर खुला केस