नई दिल्ली
चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी में चंद्रयान-2 की अहम भूमिका होगा। इसरो के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ही लैंडर और रोवर को जोड़ दिया जाएगा। ऑर्बिटर से आंकड़े इसरो को प्राप्त होंगे। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी चांद की परिक्रमा कर रहा है। इसरो ने इस साल के आखिर या अगले साल के शुरू में चंद्रयान-3 लांच करने का ऐलान किया है। इसके लिए तैयारी भी शुरू हो गई है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। सिर्फ लैंडर-रोवर होंगे: वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रयान-3 में सिर्फ लैंडर और रोवर होगा। लैंडर को सीधे चांद पर उतारा जाएगा। जबकि चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर और लैंडर अलग हुए थे और चांद पर उतरते समय लैंडर क्रैश हो गया। इसलिए चंद्रयान-3 की योजना में बदलाव किया गया है जिसका ऐलान कर चुका है।
ऑर्बिटर को जोड़ना चुनौतीपूर्ण
इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 में भी ऑर्बिटर और लैंडर का कार्य अलग-अलग था। इनमें पेलोड भी अलग-अलग थे। यदि लैंडर चांद की सतह पर उतर जाता तो उससे रोवर अलग होता और रोवर चांद पर चलकर आंकड़े एकत्र करता। ये आंकड़े ऑर्बिटर के जरिए इसरो के पास पहुंचने थे। चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर के पेलोड के आंकड़ों को धरती पर भेजने के लिए ऑर्बिटर की जरूरत होगी। तब चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को इससे कनेक्ट किया जाएगा। इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण है लेकिन इस पर कार्य शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऑर्बिटर के कार्यकाल को बढ़ाया जाए।
तीन साल तक कार्यकाल बढ़ेगा
पिछले साल जुलाई में ऑर्बिटर लांच हुआ था। तब इसका कार्यकाल एक वर्ष निर्धारित था, पर अब इसे तीन साल तक बढ़ाना जरूरी है तभी चंद्रयान-3 में इसका इस्तेमाल हो पाएगा। अभी ऑर्बिटर के उपकरण सही कार्य कर रहे हैं व प्रोग्रामिंग में कुछ तब्दीलियां करके इसमें बदलाव किया जाएगा। यदि ऑर्बिटर के उपकरण में खराबी नहीं आई तो इसे तीन वर्ष तक इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।