वॉशिंगटन
वर्ल्ड बैंक के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी भारत के संभावित विकास दर को घटा दिया है। IMF ने भारत के विकास दर को लेकर अप्रैल में लगाए गए अनुमान में 1.2 फीसदी की कटौती करते हुए इसके 6.1 फीसदी रहने की संभावना जताई है। हालांकि, 2020 में ग्रोथ रेट 7 पर्सेंट रहने की उम्मीद जताई गई है। उधर, IMF ने 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है। पिछले साल यह 3.8 प्रतिशत थी। भारत के लिए संतुष्टि की एक बात यह है कि रफ्तार में कमी के बावजूद वह चीन के साथ 'सबसे तेज अर्थव्यवस्था' का तमगा फिर हासिल कर सकता है, जबकि 2020 में पहले स्थान पर अकेले काबिज होगा।
IMF ने अप्रैल में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत 7.3 फीसदी की गति से आगे बढ़ेगा। हालांकि 3 महीने बाद इसने अनुमान में 0.3 फीसदी की कटौती की थी। 2018 में विकास दर 6.9 फीसदी रही थी। इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर रविवार को 6 प्रतिशत कर दिया। वर्ल्ड बैंक ने कहा कि महंगाई दर कम है और यदि मौद्रिक रुख नरम बना रहा तो वृद्धि दर धीरे-धीरे सुधर कर 2021 में 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।
'सुधारों का कुछ समय बाद दिखेगा असर'
IMF के मुताबिक यह घरेलू मांग के उम्मीद से ज्यादा कमजोर रहने को प्रतिबिंबित करता है। IMF ने कहा, 'मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने, कॉर्पोरेट टैक्स घटाने, कॉर्पोरेट और पर्यावरण से जुड़ी नियामकीय अनिश्चिताओं को दूर करने के हालिया कदम और ग्रामीण मांग बढ़ाने के सरकारी कार्यक्रमों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा। इसका असर कुछ समय बाद दिखेगा।'
चीन के साथ फिर मिलेगा सबसे तेज अर्थव्यवस्था का तमगा
IMF ने चालू वर्ष में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत और 2020 में 5.8 प्रतिशत पर आने का अनुमान जताया है। जबकि 2018 में पड़ोसी मुल्क की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी तिमाही के आधार पर 'दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था' का तमगा भारत से छिन गया था। इस तिमाही में भारत की वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही तो चीन की आर्थिक विकास दर 6.4 फीसदी रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी भारत चीन से पीछे रहा।
दुनिया के लिए संदेश
वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में IMF ने कहा कि 2019 के लिए वैश्विक वृद्धि दर अनुमान घटाकर 3 फीसदी कर दिया गया है। इसकी मुख्य वजह व्यापार प्रतिबंधों और भूराजनैतिक तनाव का बढ़ना है। IMF की मुख्य अर्थशास्त्री भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ ने कहा कि अनुमान में यह गिरावट 2017 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रहने के मुकाबले अधिक गंभीर है। उन्होंने कहा कि विभिन्न कारकों के एक साथ आने से आई नरमी और इसमें सुधार की अनिश्चिता के साथ वैश्विक परिदृश्य भी अनिश्चित बना हुआ है।