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गृहस्थ जीवन की जवाबदारी निभाते हुए धार्मिक तत्वों का पालन किया


संत शिरोमणि सेन जी महाराज की 720वीं जयंती

भोपाल. संत शिरोमणि सेन महाराज की जयंती पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस मौके पर सेन समाज द्वारा चल समारोह, हवन-पूजन सहित कई बड़े आयोजन होते हैं। संत शिरोमणि सेन जी महाराज का जन्म संवत विक्रम 1357 वैशाख कृष्ण पक्ष 12 द्वादश को देश के ह्दय स्थल मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ में हुआ था।

संत शिरोमणि सेन जी महाराज समकालीन रामानंद जीके परम शिष्य थे। लोक कल्याण के लिए मानवता का संपूर्ण भारत में प्रचार-प्रसार करते हुए छुआछूत जात-पांत के कट्टर विरोधी थे। सेन जी महाराज ने कर्म की प्रधानता पर बल दिया। बता दें कि बांधवगढ़ के महाराज वीर सिंह कोढ़ से पीडि़त थे। संत शिरोमणि सेन जी महाराज कर्म भक्ति के माध्यम से महाराजा वीर सिंह को बीमारी से मुक्त कराया। इससे प्रसन्न होकर बांधवगढ़ महाराज ने संत शिरोमणि सेन जी महाराज को राजगुरु की उपाधि दी।

आध्यात्मिक गुरु एवं समाज सुधारक होने के नाते उन्होंने अनेक भाषाओं में रचनाएं लिखी। सेन जी महाराज की रचनाओं में पंजाबी, हिंदी, मराठी, राजस्थानी, पंजाबी भाषा गुरुमुखी में हस्तलिखित सेन सागर ग्रंथ उपलब्ध हैं। संत शिरोमणि सेन जी महाराज पाखंड के धुर विरोधी थे। उन्होंने गृहस्थ जीवन की जवाबदारी निभाते हुए धार्मिक तत्वों का पालन किया। इस वर्ष महान संत सेना जी महाराज की 720वीं जयंती है। प्रतिवर्ष 19 अपे्रल को देश भर में सेन समाज के विभिन्न संगठनों सहित समाज के लोगों द्वारा बड़े स्तर पर भव्य आयोजन किए जाते रहे हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन होने के कारण समस्त आयोजन निरस्त कर दिए गए हैं।

समाज के वरिष्ठजनों के साथ ही सामाजिक संगठनों द्वारा लोगों से अपने घरों में ही सादगी पूर्वक अयोजन और पूजा-पाठ करने की अपील की गई है। संयुक्त सेन समाज कल्याण संगठन मध्य प्रदेश द्वारा समस्त सेन समाज के भाई-बहनों से अपील की गई है कि सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए घर पर ही दीप जलाकर संत शिरोमणि सेन महाराज जी का जन्मदिन मनाएं। सेन समाज संयुक्त कल्याण संगठन मध्य प्रदेश के महासचिव शिव कुमार सेन ने संत शिरोमणि सेन जी महाराज के बताए मार्ग पर चलने, कर्म को प्रधान समझ पाखंड से लडऩे की सामाजिक बंधुओं से अपील की गई है।

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