गरियाबंद
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariaband) जिला पंचायत 33 लाख रुपये की खाद डालकर भी 36 पौधे (Plant) तैयार नहीं कर पाया. आरोप लगाए जा रहे हैं कि जिम्मेदारों ने नियम कानूनों को ताक पर रखकर परियोजना तैयार की और फिर उसमें जमकर भ्रष्टाचार (Corruption) को अंजाम दिया. जिले के बिरीघाट पंचायत की 48 एकड़ शासकीय भूमि पर डेढ़ साल पहले जिला पंचायत (District Panchayat) ने एपल बेर उगाने की योजना बनायी थी. इसके लिए 1 करोड़ 33 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया. ग्राम पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया.
शासकीय भूमि की घेराबंदी करने के बाद उसमें कुल 12 हजार पौधे रोपे गये, जिसमें खाद और मिट्टी के नाम पर 33 लाख रुपये खर्च किये गये. अब तक इस परियोजना पर 85 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, मगर इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी कहीं कोई हरा भरा पौधा नजर नहीं आ रहा है. पंचायत सचिव सलाम खां का कहना है कि क्रियान्वयन एंजेसी ग्राम पंचायत होने के बाद भी राशि का खर्च सीधे जिला पंचायत द्वारा किया गया है. सरपंच भुवन मांझी का कहना है कि मामले में गंभीरता से जांच की आवश्यकता है.
इस पूरे मामले में जिम्मेदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर मनमानी करने के आरोप लगाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस मामले में ग्राम पंचायत को क्रियान्यन एंजेसी बनाया गया, जबकि नियमानुसार ग्राम पंचायत को 20 लाख रुपये से अधिक के काम अपने स्तर पर करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा परियोजना में पानी के लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. अधिकारियों ने खानापूर्ति के लिए आसपास के तीन किसानों के नाम पर सौर उर्जा चलित पंप सेंक्शन करवाकर नियम विरुद्ध प्लांट में लगवा दिये, उसमें भी ट्रीपिंग व्यवस्था नहीं की गयी. इसके अलावा जिन दो ठेकेदारों को खाद सहित दूसरे मटेरियल का भुगतान किया गया उनके पास इस तरह के काम का कोई पुराना अनुभव नहीं था. बल्कि माल सप्लाई करने से कुछ दिन पहले ही ठेकेदारों द्वारा अपनी फर्म का रजिस्ट्रेशन करवाया गया.
जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले से अब अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. तत्कालिन जिला पंचायत सीईओ का तबादला हो गया और वर्तमान सीईओ फाईल देखने के बाद ही कुछ कहने की बात कह रहे है. हालांकि सीईओ पीआर खुंटे ने जॉच दल गठित करने का दावा करते हुए जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन शिकायतकर्ताओं को दिया है.